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________________ // 195 // सङ्गि 645CALSOCIAL है तो तेण मग्गियाओ पुत्तनिमित्तं दुवेवि दुहियाओ। दिनाओ नंदणेणं परिणीयाओ समिद्धीए // 139 // सवंगसुन्दरीए कियत्कालं सुयमेयं तयणु भन्नए तीए / जणणिजणयाणहुत्तं मुश्चह में पवइस्सामि // 140 // तो ताणऽणुमएणं सुबइगणिणीए पाय- व्यतिक्रम्य मूलम्मि / सिरिधम्मघोससूरी तं दिक्खइ गुरूविभूईए // 141 // गुरूकुलवासे रयणायरंमि सिक्खातरंगमालाहिं / अणवरयं दीक्षा सा पावइ गुणरयणाई महग्याई // 142 / / संजमलच्छीहारं कुणइ य एसा पमायपरिहारं / बुज्झइ आगमसारं अप्पाणं घरही गृहीता अवियारं // 143 // छज्जीवकायपुरवरदिढपायारो इमीए पइचारो / सच्चं वाणी महुणा अच्चुभुयसच्चिक्कजम्मपुरी // 144 // तत्वो गीयत्थाए कित्ती चन्दुजला प्फुरइ तीए / अइसाइखमाधरणे सहसमुहा सेसमुचि व // 145 // उवहसियरई रूवसिरि सुन्दर्या। पसंसेति वीयरागोवि / जीए उवसमलच्छी सही सया पीइपडिबद्धा // 146 // गामागरनगरायरेसु विहरन्ती सा कमेण साकेए / पत्ता पवित्तिणीए सद्धिं सद्धम्मकम्मरया // 147 // भूसणसिडिस्स गेहे वसहीए हाइ आगमविहिए / सुपसिद्धो अह तीए नयरे स्वाइगुणनिवहो // 148 // सिरिमइकन्तिमइओ आगमणं जाणिऊण तो तीए / सोचा रूवपसंसं वसहीए इन्ति रहसेणं // 149 // महयरियं वंदित्ता भणन्ति सवंगसुन्दरी कत्थ / कहिया पवित्तिणीए गयाओ तीए सयासंमि // 15 // जम्मन्तरनेहेणं जाया पीई य धम्मसद्धा य / भणियाओ कीस धम्मं न करेह ? जिणिन्दपन्नत्तं // 151 // भणियं ताहिं करेमो गयाओ तो महयरीए पासंमि / तीए धम्मो कहिओ गहिओ अह भावसारं तु // 152 // चीवन्दणाइसुत्तं पढन्ति अहियंति उभयसंझपि / नाउं पिएहि मणियं मा वच्चह तीए पासंमि // 153 // नो सुंदरित्ति अजा तेसिं अवहीरिऊण तं वयणं / / जम्मन्तरनेहेण य अणुराएणं च धम्मस्स // 154 // वच्चन्ति अणुदिणंपि य अनदिणे ताहि मयहरी भणिया / सवंगसुन्दरी ECIAAAAAAA
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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