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________________ श्री जयन्तीप्रकरणपतिः / NAGAR // 192 // जीवो गयउरनयर सिरिसंखसिद्विपरिणीए / लच्छीए कुच्छीए पुत्ती सग्गा समुप्पन्ना // 91 // सवंगोवंगाणं चंगिममवलोयइ. ऊण जणएण | सवंगसुन्दरित्ति य तीए नाम कयं तयणु // 92 // आबालाओ बाला पुबन्भासेण जिणवरमयंमि / अणुरता सा भत्ता जिणाण मुणिपुंगवाणं च 93 // अह पढइ सुणइ एमा जाणइ अत्थं समत्थपत्थाण / गिहिजोग्गाणं वाला अबालचरियाए बट्टन्ती // 94 // पचा जुवणलच्छि जीए मुज्झन्ति तरूणदिट्ठीओ / सोहग्गरयणखाणी लावन्नतरंगिणी जाया // 95 // किं बहुणा ?-अंगोवंगपइडियलक्खणसुपसत्थसुन्दरसरीरा / सा दोलावह हिययं दिट्ठा नूर्ण मुणीणपि // 96 // अह साकेयपुराओ गयउरनयरे असोगसिट्ठीवि / वाणिज्जेणं सम्पत्तो सेटिसंखेण ववहरइ / / 97 // तेणऽन्नदिणे भणिओ मह गेहे ते अवस्स भुत्तवं / तेणवि दक्खिन्नेणं भणियं जं भणसि तं काई / / 98 // तो गउरवेण भोयणसामग्गीए कयाए आइओ। आगच्छइ असोगो गेहे संखस्स सेद्विस्स // 99 // तस्स य कंचणथाले अइसरसं भोयणं कुणंतस्स / सवंगसुन्दरी सा वीयणगकरा कुणइ भत्ति // 100 // तो तेण नहग्गाओ सवंगनिरक्खणेण तुद्वेण / भुत्तुंतरमि सिजागएण संखो वणी भणिओ // 101 // इह सजणेण सद्धिं पीई जइ हवइ दिवजोएण / तो जम्मेवि न विहडइ सच्चं चिय पत्थरे रेहा // 102 // आलम्बणेण रहिया तहावि सा वित्थरं न पावेह / वल्लोवि जओ तरूयरसिहरारोहेण वित्थरइ // 103 // लावनामयसरिया कन्ना सवंगसुन्दरी तम्हा। दिजउ मह ता गुणनिहिमायरदत्तस्स पुत्तस्स // 104 // संखेणवि जुत्तमिणति य चिन्तिय नेहनिम्मरमणेणं / दिन्ना कन्ना अह वित्थरेण गरूएण परिणीया // 105 // गन्तूणं ससुरकुले कयवयदियहेहिं सा पुणो पत्ता / नियजणयगिहे अच्छह सहीहिं परिवारिया सुहिया // 106 // अह अन्नया य भत्ता पत्तो धनश्री. जीवो देवलोकात् च्युत्वा गजपुर नगरे शंख श्रेष्ठिपुत्री जाता।
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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