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________________ // 189 // SAHARASHTRA kiव पसरियपयावा / जिणवयणं कमलवणं सवियासं कुणइ भमरहियं // 43 // सोऊण धणसिरीए जणप्पसंसं अईवईसाए। गहियाओ जणपुरओ भाउज्जायाओ जम्पन्ति // 44 // अम्ह पईणं अत्थो विच्चिजह धणसिरीए धम्ममि / तो किंथ पसंसिजह ? सुकरं चिय परधणं दाउं // 45 // भाउज्जायावयणं लोयमुहाओ सुणितु सा निउणं / चिन्तइ मणम्मि भाउजायाउ एरिसी हुन्ति // 46 / / किंतु परिक्खा किरउ बन्धवचित्तस्स जइ न पडिहाइ / ता किं दत्ववएणं ? अम्हाणं धम्मकजंमि | // 47 // तो पउमसिरीहुत्तं संज्झाए भणइ घणसिरी एवं / गंग व जिणाभिहिओ दयावहो सबहा धम्मो // 48 // &aa तो गिहवावारेवि य जयणा जमणु व जिणमया चेव / जीए अणुकूलवहं मलहरणं संवरं लहसि // 49 // भणियं च-"जयणा धम्मजणणी जयणा धम्मस्स पालणी निचं / तव्वुद्धिकरी जयणा एगंतसुहावहा जयणा" 8|| // 50 // वाणीवि य मणियबा जीए महुराए सच्चयासहिओ। कोडिगुणारोहेणं जिणधम्मो होइ सुपसिद्धो // 51 // धम्मियसिलवईणं संसग्गो सबयावि कायद्यो / होइ खमाए मेओ कुसीलयाणं जओ जोए / 52 // किंबहुणा ?-धम्माणमेस धम्मो रक्खिाइ साडिया पयत्तेणं / अह धणवइणा पइणा सविहे निसुयं इमं वयणं // 53 // तो पउमसिरीउवरिं कुविओ भत्ता न देइ पयसोयं / काउं जम्पद अवसर दिद्विपहाओ गिहाओवि // 54 // ता एसा पउमसिरी निद्वरया से वयंमि अच्छेरं / निदोसा संकुइया मउलियमणनयणवरकमला // 55 // पइसिज्जासम्म चिय रुयमाणी हाई भूमिवट्ठमि / जाव पभायं जायं निदोसाऽहंति अइदहिया / / 56 // उन्नयगुत्तप्पभवा खारूग्गारेण नम्मया कहवि / रयणायरे न मिल्हह जह तह नाहं पिययमपि // 57 / / इय चिन्तन्ती एसा सूणेहि लोयणेहिं उत्तिन्ना / वासहराओ दिट्ठा भ्रातृपत्नी कृतेर्षायां ला तया प्राचित| विलोकने मायावचन प्रयोगः कृतः। // 189 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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