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________________ जय जिणिन्देहिं // 26 // भुत्तुत्तरंमि तत्त ओ जिणिन्दधम्मो दावियनिसमा विवेए ताणं कुसुमुजलं साधीसङ्गेन जयन्तीप्रकरणवृतिः। // 188 // भणियं जिणिन्देहिं // 26 // भुत्तुत्तरंमि तत्तो वहणीवयणामएण सित्तंगी। वेसमणगिहे वसहिं भाउज्जायाहिं सह एइ // 27 // ततो पवित्तिणीए सिवपुरवरवत्तिणीए सच्छाहो / कहिओ जिणिन्दधम्मो दावियनिस्सेसजियसम्मो // 28 / / जीवदयासारेणं घणगजिगहीरधम्मकहणेण / जिणवयणरूहवल्ली ताणं हिययस्थले रूढा // 29 // तो वियसिए विवेए ताणं कुसुमुज्जलंमि पइ. 11धर्म दृढता दियहं / जिणपूयाइविहाणे गच्छइ दूरं परिमलोवि // 30 // अह बन्धवावि तीए भणिया गच्छह पवित्तिणीपासे / धम्मा जाता। रामे जम्हा लब्भइ बोही सया सहला / / 31 // सुलहा सुरलोयसिरी रयणायरमेहलामही सुलहा / एकमि नवरि दुल्लहा जिणिन्दवरसासणे बोही // 32 // लज्जाए रज्जूए अम्हे संदाणिया जओ तेण / मयहरियाए समीवे कह गच्छामो ? भइणि तत्तो // 33 // जइ एइ कहवि सूरी अम्हाणं पुनपगरिसेणेह / तो तेसि पायमले गच्छामो कप्परूक्खाणं // 34 // इय तब्वयणं सुच्चा धणसिरी भणइ बन्धवाभिमुहं / सव्वं धन्नाणं चिय हवइ हु मग्गाणुसारितं // 35 // अह सुकयपगरिसेणं ताण सूरी समागओ बाहिं / उजाणे मणरमणे सेविञ्जन्तम्मि सउणेहिं // 36 // सह बन्धवेहिं गच्छह घणसिरी तहय भाउजायाहिं / गुरूपायवन्दणथं सम्पन्नमणोरहा तयणु // 37 // अह वन्दिऊण गुरुपयकमलं विनवइ धणसिरी एवं / मह बन्धवाण भयवं जिणधम्मं कहह एयाण / / 38 // ततो गुरूहि कहिओ करुणारससायरेहिं जिणधम्मो / वयणलहरी हि तेहिषि लद्धं सम्मत्तवररयणं // 39 // तेणुजोइयसिवपुरमग्गे जिणरायपूयणाईए। अक्खलियपयचारेणं निच्चं चिय ते पयन्ति // 40 // भवजलहितरणपोयं जिणभवणं धणसिरीए कारवियं / दबवएण बहुणा तत्थ पयन्ति पूयाओ // 41 // तह तीए अवरावरतवदिणपूयाविहाणदाणाई / दट्टण जणो हिट्ठो कुणइ पसंसं जहा एसा ॥४२॥धना कयकल्लाणा दिणयरमुचि Pl // 188 // CAUSESSACROSARSANSAR
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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