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________________ बयन्ती प्रकरणइतिः / | मायायां द्वितीयमपि घनश्रीउदाहरणम्। // 186 राओ नं सरयमेहो // 5 // ताणऽनदिणे दंसणे हरिसवसोल्लसियहिययकमलाण / जायं जाईसरणं पुबमवप्पीइवित्थरणं // 6 // जं पुत्वभवे करिणा अइसंधारणेण (वंचकेन) अजियं कम्मं / तं उइयं तत्थ खणे तस्स पभावेण तो तेण // 7 // तं मिहुणगं करेणं घेतुं हरिसेण खन्धदेसम्मि / आरोवियं तओ सो सरलो कुलगरपयं पत्तो // 8 // वंको जावजीवमायादोसेण वाहणो जाओ। नियडीवंसकुडंगी सिवपुरपंथे खलइ एवं // 9 // तम्हा गुरुवएसा एसा माया बुहेहिं चइयवा / पावट्ठाण सल्लं जिणधम्मे मोक्खमग्गम्मि // 10 // इदमपि मायाख्यानकम् // अन्नं च धणसिरीए मायासल्लेण धम्मकजंमि / विहिएण अणालोइय अपडिक्कन्तेण जं दुक्खं / / 1 // पत्तं अनमि भवे अभक्खाणेण दुविवागेण / इह तं पि सुणिजंतं वेरग्गं जणइ भवाणं // 2 // तहाहि-दीवे जंबुद्दोवे दक्खिणभरहद्धमज्झिमे खंडे / नामेण सुपसिद्धं आसी पुट्विं वसंतपुरं // 1 // तत्थासि पुहविनाहो जियसत्तू नीइविक्कमसणाहो / पुरपरिहसरिसबाहो अइसयपडिबन्ननिबाहो // 2 // तत्थ धणेसरसिट्ठी दाणाइगुणेहिं जणियजणवडी / आसी धणेण धणओ अणुत्तरो किन्तु लोगम्मि // 3 // तस्स य भजा लच्छी विणयबई सरसकुवलयदलच्छी / धणवइधणावहाभिहपुत्वा दो तीए उप्पन्ना // 4 // धूया य धणसिरी जा मयरद्धयरायरायहाणिसिरी / पुत्ताणं पत्तीओ पउमसिरी तहय कमलसिरी // 5 // एयाओ वियड्डाओ जुषणरूवाइगुणगणड्ढाओ / कुलसीलमहग्धाओ पहभत्तीए अविग्घाओ // 6 // अह अन्नया विइमा पिउणा पउमावइए नयरीए। इसरसिट्टीसुएणं परिणीया धणसिरी कन्ना // 7 // ससुरकुले CARRIA
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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