SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 198
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ // 185 // अनशने खपूजा वाञ्छायां गुरुनिषि RELAAAAE सह अज्झवसाओ सुहो तीए // 23 // एगंमि दिणे मणसा सा चिन्तह जइ करेह महपूयं / सबिड्डीए लोओ तो इह अइगउरवं होइ // 24 // एह तओ पुरलोओ पूयत्थं धूवपुष्फफलहत्थो / संसुमरियविजाए आहओ पंडुरजाए // 25 // तत्तो उवउत्तेहिं गुरूहि सम्भन्तचित्तवित्तीहिं / अञ्जाविजासुमरणमाहप्पेणंति विनायं // 26 // कलुसीकरेसि वच्छे ! गंगुजलमुत्तमट्टकप्पमिमं / अजे ! पउत्तविजे ! जणपूयारम्भपंकेण // 27 // एवं हि गुरूहि भणिया संविग्गा सा पुणो पडिकन्ता / निन्दागरिहालोयणविसुद्धबुद्धीए संकन्ता // 28 // पूयाहेउं पुणरवि पउत्तविञ्जा गुरूहि सिक्खविया। विणियत्ता कइवयदिणपञ्जन्तपउत्तविजा सा // 29 // पडिचोइया नियत्ता चउत्थवेलाए तह पवित्तीए / तीए गुरुवुत्तीए पूयासचाए पडिवोत्तं // 30 // पुत्वपवाहेणेसो भयवं लोओ करेइ महपूयं / एवं मायासल्लं कयल्लयं पण्डुरजाए // 31 // तत्तो पढमे कप्पे मायासल्लेण सा समुप्पन्ना / एरावणगयरमणी ससल्लचारित्तदोसेण // 32 // एसो खु पावपगई इत्थीभावेवि हथिणीमावो / दियलोएवि पराभवहाणं एवं कुदेवत्तं // 33 // तम्हा सुदिढगुणावहपरलोयपसाहणमि धम्मंमि। परिहरियो सवं मायासल्लं पयत्तेण // 34 // AAAAAAAAA% द्वापि माया न त्यक्ता तेन कुदेवत्वं प्राप्ता। हमि दो वणिमायायां कथानक हर्गमि धम्ममि। परिहामावेधि हस्थिणीमापे मायासलेण सा // ____ संति इह जम्बुद्वीपे अवरविदेहमि दो वणियपुत्ता / मित्ता सिणिद्धचित्ता वणिजवावारआसत्ता // 1 // एगो सरलप्प. गई दाणरुई विणयपरिणई आसि / किल सच्चमणोवयणो आणन्दियसयलसुहिसुयणो // 2 // अवरो वश्चणपवरो मायावल्लीवियाणदिढकन्दो / चन्दो इव सियपक्खे कलाहिं कुडिलाहिं पडिपुत्रो // 3 // अह दाणदयाविणयावजियनिविग्धभोगफलपुनो। उप्पनो सरलमणो भरहे मिहुणगनरो सुहओ // 4 // मायल्लो पुण मित्तो वंचणचित्तोऽवसाणसम्पत्तो। जाओ उज्जलदेहो करि %
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy