________________ चके जयन्तीप्रकरणवृत्तिः / ला // 180 // GADCHOCALCCIALA तो तस्स करे अप्पइ चकं किर देवया झत्ति // 9 // उत्तमजुद्धपइन्ना जिवियरहिओ इमोत्ति बाहुबली / निन्दन्तो अवलोयइ भरतेन PI चक्ककरं तं करकं व // 10 // कुले पहबइ न चकं जालामालाहिं जइवि चक्तिकं / अइसयतपि जलं न नियदाहं करइ जेण // 11 // तो भुयबलेण इमिणा सह चक्केणं इमं नु चूरेमि ? / अहवा न जुत्तमेयं असारविसयाण कजेण // 12 // मुद्धो |8| प्रक्षिप्ते कुद्धो गिद्धो एसो विसएसु विसविसेसेसु / जम्हा मुहमहुराणं विरसो तेसिं परिणामो॥ 13 / / जस्सुल्लसियपयावो तइलोक बाहुबलेदिवायरो जिणो जणओ। भरहो सणिच्छरसमो दोसागयदंसणो ज सो॥ 14 // किं जुज्झेण ? बन्धवरजग्गहणेण पीय रात्मधर्मपाणीओ। धारइ जलहीए एसो चकं वडवानलं वेगं // 15 // सिरिउसहस्स वि पुत्तो एसो न कुडुम्बभरधुराधवलो। सयणभरं विचारणया निहणन्तो भरहो भरहोत्ति सच्चमिणं // 16 // अहवा विसयपिवासा महापिसाई वियम्भए एसा / जीए घत्था जीवा कजा दीक्षाकजं न याणन्ति // 17 // बाहुबलगवपवयसिहरारूढो अहंपि संमूढो / जं रूद्दज्झाणहेऊ भरहनरिन्दस्स संजाओ // 18 // ग्रहणम् / | ते सिद्धा सुकयत्था परमपयत्था सयासुहसमिद्धा / जे अवराण जियाणं न कारणं कम्मबन्धस्स // 19 // सुगहीयनामधेया ते मह लहुयावि बन्धवा गरूया / जे निरूवमगुरूसंगमसंजमसिरिसंगया जाया // 20 // एवंविहं परिचिन्तिऊण सम्म विवेयदिदिए / संवेगमुग्गरेण भित्तूणं मोहघणगण्ठि // 21 // काऊण पश्चमुढिलोयं गहिऊण देवयादिन्नं / रयहरणाइयलिंगो चारित्तगयन्दमारूढो // 22 // बाहुबली परिचिन्तइ तायसमीवंमि जामि कहमिन्हि ? / निरइसओ पेच्छिस्सं केवलिण बन्धवे लहुए // 23 // इह कयकाउस्सग्गो सुक्कझाणानलेण दहिऊण / कम्मवणं तो लहिउं केवलनाणं गमिस्सामि // 24 // एवं निच्छयसारो निरूद्धसावजसयलवावारो। बाहू सरलियबाहू तत्थ हिओ काउस्सग्गेण // 25 // बाहुबलिं मुणिराय SANSAR ACCORNCR