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________________ 175 // युद्धप्रस्थितभरत सेना| वर्णनम् / AHARASHTRA इवी / सच्चे जं नियट्ठाणं कलुसन्तो नेहनिट्ठवणो // 30 // किं बहुणा-गसइ ससिं तारायणगयपि साहसबलेण जह राहू / / तह वाहूवि तुम बहुबलंपि जेउं समीहेइ // 31 // सोऊण बाहुबलिणो दएणणुभासियाणि वयणाई / चिंतेइ भरहराया अहो | इमो सिंहसच्चरिओ // 32 / / यत: एकोहमसहायोऽहं किशोहमपरिच्छदः / स्वप्नेऽप्येवंविधा चिन्ता मृगेन्द्रस्य न जायते // 33|| एकोवि करिघडाणं विहाडणो होइ केसरिकिसोरो / एको सहस्सकिरणो हरेइ तिमिराण रिच्छोलीं // 34 // हरिउपि न जुत्तं चिय बन्धवरजाई तायदिनाई। किन्तु मह चकवट्टित्तणेण एसो महामोहो / / 35 / / एताहे पुण आरम्भिऊण जुझं करेमि जइ नाहं / कापुरिसोत्ति महन्ती इमा महोहावणा होइ // 36 // ताऽवस्सं गन्तवं तय हुत्वं ताव आहवनिमित्तं / नाऊण पुणो चित्तं जं जुत्तं तं करिस्सामि // 37 // एवं विणिच्छिऊणं पसत्थतिहिकरणजोगनक्खत्ते / सुमुहुत्ते भरहिन्दो पत्थाणं कुणइ सम्बद्धो // 38 // पडिवक्खरुक्खभञ्जणसज्जा अंजणगिरिन्दसुन्देश / भद्दगयन्दा मयरसपवाहलुद्धालिझंकारा // 39 // वेगाइगुणगणेणं निट्ठरक्खुरखुनरेणुखिवणेण / रविवाहाण अवलं तुरया हेसाहिं व कुणंति // 40 // गोविन्दसरिससारहिअहिट्ठिया दुसहरहवरा तुंगा / परबलजलनिहिमहणे अमन्दरयमन्दरगिरिन्दा / / 41 // तयणु पयाणे चलिया घंटाटंकारवहिरियदियन्ता / चउरासीइलक्खा पत्तेयं भरहरायस्स // 42 // संगामगयणपसरियपरबलतिमिरावहारसूरकरा / छण्णवइकोडिसुहडा पसरन्ति य सिंहनाएणं // 43 // बत्तीसमउडबद्धा निवसहस्सा इंति नियबलसमिद्धा / दुद्धररणरससाहसरहसमरोभिन्नरोमचा // 44 // महया सम्मद्देणं हयगयरहसुहडगहिरसद्देणं / भरहनरिन्दो गच्छइ सयम्भुरमणो व अइमरूओ // 45 // अखण्डि // 1 75 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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