________________ // 173 // 13-% भरतप्रेषितदूत कथनम् / ASSAGAR % अतुलबलपराक्रमपरपराकरणोत्पादितत्रिभुवनचमत्कारा अपि वैराग्यातिशयप्रतिपन्ननिराभिष्वंगचारित्रभारा अपि मनाक मदावष्ठम्मतो विनयमुद्रादरिद्रास्तपोनुष्ठानध्यानक्लेशमनुभवन्तोऽपि द्राक् केवलज्ञानलक्ष्मीपरिरम्भसुखभाजनं न भवन्ति बाहुबलिबत् , तथाहि तक्खसिलपुरवरीए आसी सिरिरिसहनाहअंगरूहो / बाहुबली नरनाहो लहुभाया भरहचक्किस्स // 1 // सिद्धे मरहे भरहो चक्की रजाइं निययवन्धूण / मग्गइ तेऽवि जिणन्ते संजमरजं पवजन्ति // 2 // यमुहेणं मरहो बाहुबलिं भणइ निवरं तत्तो / रजं मए वियन्नं भुञ्जसु जइवा कुणसु समरं / / 3 // बाहुबलिणोवि हिययस्थलंमि एएण द्यभणिएण / लद्धिन्धणधूमद्वयबन्धू कोहो समुजलिओ।। 4 // तत्तो अणेण वुत्तो ओ भुयग्गहेण तुम्ह पहू / गहिओ इव जं जम्पइ रहिओ सत्तेण नेहेण // 5 // भरहे पसाहिए कि ? पसाहिओ एस रायलच्छीए / तुच्छो कुच्छियचरिओ जो एवं बन्धुपरिहरिओ // 6 // लहुबन्धवा इमेणं उज्झियलजं विमुक्कमजायं / मणिऊण मेसिऊण य पवजं गाहिया झत्ति // 7 // कायसमोवि न एसो बन्धवरहिओ जमित्थ भोगत्थी / लद्धं बलिं न मुंजइ जं सो बन्धूण कयसदो // 8 // बन्धवरजग्गहणे सूरग्गहणि व तस्स तमपसरो / सो जाओ जेणेसो अप्पपरत्ताणसम्मृढो // 9 // एसो जलप्पवाहो अइसयकलुसो रयणिवÉतो / तीरद्वियवच्छाणं समूलकासंकसो सच्चं // 10 // इक्खागकुले कमलायरम्मि परमोययम्मि भरहेण / बन्धवरजवहारे अयसो भमरून संलीणो।॥ 11 // ऊणं न बंधवाणं, संजमरजं जिणेण जं दिवं। भावारिदलणवजं निरवज्जं तिजयनमणिशं // 12 ॥रे य किंतु भरहो परिसप्पिरदप्पसप्पविसमुच्छो / वियलियविवेयदिट्ठी जाणइ नऽप्पं परं वावि // 13 // C4 RI 173 // %