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________________ *64 श्री CCASI दुर्मुखेन जयन्ती प्रकरणपतिः / // 168 // A गुणुल्लवणं लवणं माहप्पसस्सस्स // 39 // एसो कन्नविसेणं ग्वत्थो सुरलोयलच्छिलोहिल्लो। रजंमि अकयकरणं पुत्तं ठविऊण पवइओ // 40 // संपइ पुत्तो पोयणपुरंमि पडिवक्खलक्खरुद्धंमि। खुद्धमि सयललोए वह पाणाण संदेहे // 41 / / तस्य निचइऊणं रजमिणं कमागयं जं वयं गहियमेयं / रायाण पयापालणधम्मो चत्तो तओ इमिणा // 42 // एयमि पुत्तवसणे न्दा कृता कसिणे पुरदाहधूमलहरीहिं / होही इमस्स बसे नूणमकित्ती पडाय व // 43 // पोयणपुरवरभंग मन्ने अचिरेण जेण दततः क्रोधरिउवग्गो / उग्गो दढं विलग्गो बग्गन्तो वग्गुदलसग्गो // 44 // रजे रडे नढे सुमरिजन्ते परिणि / अणुतावो / इमिणा प्रादुर्भावः। वयंमि कट्टे पडिवने कह न होहित्ति ? // 45 // गोसमणमाहणाइयविधायपावेण एस आलिद्धो / मुद्धो पसंसणिजो कहं हवेजा ? अणा छ // 46 / / सुमुह ! मुणिन्दो एसो पसन्नचंदोवि संपयं नूणं / एएण अत्तएणं मएण कलुसीकओ होही // 47 // सुमुह ! तइच्चिय वुच्चइ एसो साहु पसन्नचन्दोति / अम्हे पुण जंपेमो एसो दोसायरो सच्चं // 48 // पुबज्जियसुकयएणं सवसं रजं चइत्तु एस निवो / संसइयपरलोइयसुहामिलासी महामृढो // 49 // अह दुम्मुहदुवाणी वंसकुडंगी जणेइ सल्लन्ती / हिययस्थलंणि मुणिणो कोवं दावं महातावं // 50 // उच्छलइ किन्हलेसा बहला सभाणनयणपडिकूला / पसरेण खमाभोगं कलुसन्ती धूमकुरूलि व // 51 // डज्झइ करूणावल्ली मूलगुणुल्लसियपल्लवमहल्ला / तत्तो खणेण दट्ट चिररूढं संजमवणंपि // 52 // जे एस रिसी चिन्तइ पसन्नचन्दो मएवि जीवन्ते / मह पुत्तो सत्तूहि रूद्धो खुड्डोत्ति दुस्सहमिणं // 52 // तेसिं रिउवग्गाणं वग्गन्ताणंपि रणरसुच्छाहो / सन्नद्धबद्धकवओ नचाविस्सं कबन्धाई // 53 // मंडलियचावदंडो पयंडनारायघायसंघाओ / तेसिं गयन्दमत्थयमुत्तामारं गहिस्सामि // 54 // चकेहिं विमुकेहिं सवाणिएहि रणंगणसरंपि / 15 // 168 // NCARNI
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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