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________________ // 169 // | श्रीप्रसन्न चन्द्रमुनिविषयकप्रश्नोत्तरं भगवतः। CACKASSE%ACAN सत्तूण सिरसरोरूह-मंडियमझ करिस्सामि // 55 // रूद्दज्झाणपविट्ठो चिट्ठइ जावेस अइसयकिलिट्ठो / दिट्ठो ताव समागयसेणियरमा पहि पहिवेण // 56 // आयावन्तं दई पसन्नचन्दं मुणिन्दमवईयो। गयखंधाओ राया बन्दह परमाए भत्तीए / / 57 // एसोवि रिसी मणसा सत्तुनिसुम्भणपवसरंभो। पिच्छइ नेव नरिन्दं न धम्मलाभं पयच्छेद // 58 // चिन्तइ य महाराया एस मुणिन्दो निरीहमणकमलो। धन्नो ज्झाणपवनो निचलचित्तो महासत्तो // 59 // एएणं झाणेणं पवड्डमाणेणं कहवि अवसाणे / गच्छइ कम्मि विमाणे ? इय पुच्छिस्सं जिणवीरं // 60 // सामच्छिऊण एवं राया हथिम्मि सिग्धमारूढो / गच्छइ जिणिन्दचरणारविन्दवन्दणकउम्माहो // 61 // पत्तो सेणियराया वेभारगिरिन्दसन्निहाणम्मि / तत्तो विहिणा पविसइ गुणसिलउजाणओसरणे // 62 // वन्दइ वीरजिणिन्दं हिट्ठो तिपयाहिणीकरेऊण / संत्थुयसम्भूयगुणो आसइ ईसाणदिसिभाए // 63 // झाणे पसनचन्दो जम्मि मए वन्दिओ रिसी भयवं / तेण कहि सुरलोए गम्मइ ? पुच्छइ निवो तत्तो॥ 64 // अह भणइ जिणवरिन्दो नरिन्द एएण ज्झाणबन्धेण / गम्मइ सत्तमनरए घोरदुक्खाण नियघरए // 65 // मेहगहीरसरेणं जिणभणियं सेणिओ राया / विज्जुज्जोएणिव लोयणाई मीलेइ खणमिकं // 66 // चिन्तइ य निवो मुणिपुंगवाण सज्झाणनिच्चलमणाण / निस्संगाण य दुग्गइदुहृदन्दोली कहं होइ ? // 67 // किं ? दोगच्चं चिंतामणिस्स सूरस्स हवइ संतमसं / चंदस्स व सन्तावो अमियस्स व होइ किं ? मुच्छा // 68 // तम्हा मए न सम्म सुयं जिणिन्दस्स भासियं मन्ने / अन्नपि पुच्छिऊणं करेमि सन्देहविद्दवणं / / 69 // इय चिंतिऊण राया जम्पइ संपइ जिणिंद ! उववाओ / तस्स मणिणोऽवसाणे कम्मि विमाणे हवह सामि // 7 // अह भणइ जिणो नरवर ! सम्पह जइ एस // 169 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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