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________________ रूदो नित्थिनो जेण लीलाए // 28 // अम्हे अन्नाणन्धा जणणीगमणमि पावकम्मम्मि / खुत्ता हाहा पाणा कहं अयाणा न गच्छन्ति ? // 29 // धारिन्तोवि य वित्तं पुनं जेणेस रोहिणीरमणो। ईसरसिरोनिवासं कुरंगमलिणो लहइ नेव // 30 // तो अम्हे कह ! जामो नियए नयरंमि सयणमज्झम्मि। जाणतावि य जणणीगमणं पावं दुरप्पाणो // 31 // अंसुजलेण हिययत्थलंमि सिंचंति मन्नुतरूमूलं / दो मित्ता दट्ठणं जिणदत्तसूयं महासत्तं // 32 // जिणदत्तसुएण एवं वुत्ता मित्ता किमित्थ सोएण ? / बहुदविणेणवि संपइ मिल्हाविजन्तु जणणीओ // 33 // अम्ह रयणं सोच्चिय गुणरासी होउ सबहा गरूओ। वेसत्तणावडाओ जेणेया उद्धरिजन्ति // 34 // जत्थ तिवग्गपसिद्धी सो दिजइ जेहिं माणुसो जम्मो। इहलोयदेवयाई पियराइं ताई भन्नन्ति / / 35 // अनं च-अणुहवइ दुहं जणणी जमेगदिवसंमि गम्भवहणेण / तस्स न निक्कयदाणे सक्को पुत्तो जयवि चक्की // 36 // दुक्कम्मबन्धणेसु गणियागेहेसु गुत्तिसरिसेसु / दुक्कम्मरायखित्ता मोयाविजन्तु जणणीओ // 37 // जिणदत्तसुएणेवं वुत्ता ते हुन्ति अमियसंसित्ता / दाऊण बहुं दविणं तो मोयाविन्ति जणणीओ // 38 // अम्हाणमिमे पुत्ता पोयच्चिय जेहि एस उत्तिन्नो। अब्बावारसमुद्दो जलजन्तुभरेण संकिन्नो // 39 // इय हिट्ठाओ ताओ जणणीओ जाव जाणवत्तेसु / आरूढाओ नियघरगमणोम्माहेण गरूएण // 40 // पीइमइकंतिमई एयाओ तयणु ताव चिन्तन्ति / कह सयणाणं पुरओ दाइस्सामो नियमुहाई य // 41 // जे अणुयावो दावो अम्ह मणं काणणं दहह अहियं / तो उण्हा तेसिं निसासा धूमलयाउ व पसरन्ति // 42 / / घणकालुस्सेणऽम्हं छन्ने मुहचन्दमंडले कंती / सयणाण चउराणं लोयणसुहया कहं ? होजा // 43 // गोत्तम्मासे दुचरियसुम 354AECEC%A5% * मोचापिताः ताः पुत्रैध नदानेन है तथाऽपि दू| यो पश्चाचापेन समु| द्रे पातः। // 161 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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