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________________ जयन्ती प्रकरणपतिः / // 148 // का लक्षपूर्व SHRECCA% भिन्दइ कम्मं गिरिं सहसा // 88 // तो उग्गमन्तदिणयरपसरसहोयरेण भावेण / कमलायरो व वियसइ चारित्तग्गहण- आदर्शपरिणामो / / 89 // परिहरियसवसंगो भरहमुणी चरणगिरिवरारूढो / पिच्छइ अरचदुट्ठो समयं सयलेसु विसएसु // 90 // भवने समभावभावियप्पा पइक्खणवियसन्तवीरिउल्लासो / पविसइ अपुछकरणं आरोहेइ खवगवरसेढिं // 91 // तो सुहमसंपराओ होउ प्राप्ते अहक्खायचरणसम्पन्नो / सुकज्झाणदवेणं विदड्रघणघायकम्मवणो // 92 / / अच्चुन्भुयसोहग्गो केवलवरनाणदंसणसिरीए / केवले वेषं आलिंगिओ सहरिसं भरहमुणी वीयरागोवि / / 93 // कमलि व निरूवलेवे केवललच्छीनिवासभवणंमि / भरहमुणिन्दे सक्को गृहीत्वा अलि चलियासणो एइ / / 94 / / जम्पइ सम्पइ तुम्हं जस्सदा कीरए तवचरणं / तंपि हु केवलनाणं भावमुणिन्दस्स सम्पन्न // 95 / किन्तु न इत्थं तित्थं पवत्तए तेण गिन्ह रयहरणं / लोयाइविहाणेणं कीरइ केवलमहो जेण // 96 // इय सकेणं वुत्तो भरतभरहमुणी देवयावियन्त्रेणं / लोगुत्तरवेसेणं निग्गच्छह दप्पणगिहाओ॥ 97 // उजाणम्मि ट्ठियस्स य सको किंकिल्लिपायवत केवलिनो लंमि। केवललच्छीमहिमं करेइ सुरिन्देहिं परियरिओ // 98 // अह सह गहियवयाणं चउहि सहस्सेहिं नरवरिन्दाण / विचरणम् / सद्धिं विहरइ भरहे मरहमुणी केवलनाणी // 99 // पुवाण लक्खमेगं मरहमुणिं केवली विहरिऊण / पडिबोहियभवजणो पत्तो मुक्खं सया सुक्खं // 10 // चउबिहधम्मकहाए सुहासहीए इमाइ विबुहाण | मिच्छत्तविसवियारा दूरं दूरेण वियरन्ति | // 1.1 // गिण्हन्ति य सम्मत्तं अन्ने मणुयावि लिन्ति चारित्तं / अवरे भद्दगभावं पडिवण्णा पाणिणो तत्थ // 12 // सोऊणं धम्मकहं चउविहं सुगुणकोडिसंघडियं / विजयञ्चियमोहनिवं मन्त्रन्ती सा पुण जयन्ती // 103 // चिन्तइ वीरजिणिन्दो केवलवरनाणदंसणपइवो / सो भयवं संसयमहन्धयारं हरइ सहसा // 104 // P148 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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