________________ // 147 // च्छाभावनाभावित्वं भरतचक्रिणः। CASTORE | हाणं जलहि व देहमिणं // 71 // चम्मरसरूहिरमंसद्विसुक्कमजावसंतमेयसयं / उरालियं सरीरं मणुयाणममिज्झभंडारं // 72 // रे जीव तुमं तंपि य मजणसिंगारअंगरागेहिं / कप्पूरागरूपुप्फोवयारमणिभूसणगणेहिं // 73 // उवयरसि मूढ निचं महयारंमेण गिद्धिबुद्धिल्लो। छज्जीवघायणरओ परलोयपरम्मुहो मुद्धो // 74 // संसारंमि मसाणे एयम्मि सरीरयमि गिद्धीए / सम्मद्दिट्ठी हीरइ दिजइ दुक्खाण दन्दोली / / 75 // तह लालियंपि तह पालियंपि एयं सरीरयं जेण / परलोए अणुगमणं न करइ सहऽक्वाणमित्तो व // 76 // असुइभरियंमि कुंभे बाहिं जह पुष्फमाइउवयारो / तह देहे परिभोगे कंचणमणिभूसणाईणं // 77 // कट्ठाणमणेगाणं पावदन्वुत्थाण जत्थ उप्पत्ती / हेयं सरीरमेयं विउसाणं दगरन्नं व // 78 // हवइ य गम्मे जम्मे चालत्ते तरूणभाववुड्डत्ते / रोगविओगजराइयं दुक्खं देहग्गहे चेव // 79 // सुगहीयनामधेया ते नेया अंतरंगवहिरंगं / चइऊण सवभंग जे सिद्धा केवलप्पाणो // 8 // धन्ना अट्ठाणुइमुणिणो चरणभरधुरं धरिस्समहं / अंगीकयगुरूकटुं पुन्नं पसमाइरयणरासीहिं / / 81 // चारित्तजाणवत्तं तारइ भवसायरं सिग्धं / सच्चं ते विबुहिन्दा कम्मगिरि चूरयन्ति जे सहसा कढिणेण मोहेणं चारित्तकुलिसेण लीलाए // 82 // पंचप्पयारविसओवयारपंकमि मह निमग्गस्स / हीही सिद्धिं पुरि पइ चरणपवित्ती न संजाया // 83 // अमियारम्भपरिग्गहरूवाए चक्कवट्टीलच्छीए / मह मृढगड्डरस्स व सम्पन्ना अविरई चेव // 84 / नवकम्माणायाणं विरईए होइ भवजीवाणं / सुक्कज्झाणतवेणं पुवज्जियकम्मनिजरणं / / 85 // तत्तो केवलनाणं लहिउं निस्सेसकम्ममलमुक्का / एगसमएण जीवा वच्चंतऽयरामरं द्वाणं // 86 // पश्चिन्दियदमदन्तो कोहाइकसायपसमओ सन्तो। | तोऽहं करेमि सम्पइ तिविहंतिविहेण विरइमिमं // 87 / / इच्चाइभावणाए भरहिन्दो कढिणकुलिसधाराए / चारित्तोहणीयं म॥१४७॥