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________________ -बयन्ती वजसेनतीर्थकरदेशना। प्रकरण वृतिः / ESSA // 138 // णत्यो तत्तो आइसइ पञ्चायपुरिसे / कारावह नयरीए महूसवं जिणावरागमणे // 20 // कयमजणोवयारो देवंगदुकूलरइयसिंगारो / मउडायअलंकारो गयाइचउरंगपरिवारो // 21 // जयकुंजरमारूढो ढलन्तचलधवलचामराडोवो / सिरिचक्किवडरनाहो गच्छइ जिणवन्दणुम्माहो // 22 // दट्टण समोसरणं हिट्टो जयकुंजराउ उईनो / पंचविहामिगमेणं कयञ्जली पविसइ तत्थ // 23 // तिपइक्खिणी करेऊण विहिणा सक्कस्थय भणेऊण | इसाणदिसाभाए आसीणो उचियट्ठाणंमि // 24 // भयवंवि वइरसेणो वित्थारइ धम्मदेसणं तत्तो / मोहविसपरममन्तं अन्तररिउनिग्गहे जन्तं // 25 // संसारे कंतारे परिभमन्ताण कम्मवसयाण / जीवाण मग्गलग्गो मचुकरिन्दो महारूद्दो॥ 26 // पुरओ य घोरमुत्ती एइ जरा रक्खसी तुरियं / जहा होइ दोक्खक्खाणी दुक्कमनरिन्दअत्थाणी // 27 // चउरासीइलक्खेसु जीवजोणीण वणनिकुंजेसु / भमिराणं सिवपुरवरपहो अहो होइ अइदुलहो // 28 // इटाणिढविओगप्पओगदावुच्छलन्तजालाहिं। डझन्ताणं ताणं घणोदओ होइ जिणधम्भो // 29 // नवि अस्थि भवारने जियाण पडिबन्धकारणं किंपि। जेणिन्दचावचवलं सयलं धणभवणसयणाई // 30 // उत्तुंगसिंगगिरिवरपसरियसरियातरंगतरलाई। जं जीवाण उब्बणजोवणलावन्नप्पेमाई // 31 // परिणामदारूणेसुं दुग्गइदुहकारणेसु विसएसु / सम्मदिविविणासणरसियं गिद्धिं निवारेह // 32 // संसारम्मि अरन्ने किम्पामफलोवमेसु विसएमु | सनाणजीवियत्थी को नाम करे। अहिलासं ? // 33 // रागबोसकसाया एत्थ पिसाया सयावि वियरन्ति / तेहिं गसिजन्ताणं, कहं ? सुहं होइ जीवाणं // 34 // तम्हा सम्मईसणचरिचरूवेण सुठु मग्गेण / लंघिज भवारनं खिप्पं पावेह सिद्धिपुरिं // 35 // इय जिणवरधम्मकहा पहा जहा दिणयरस्स पसरन्ती। अनाणमन्धयारं निहणइ भवाण जीवाण // 36 // चक्कीवि वइरनाहो तकालोप्पचसिवसुहु RECAUSA G E // 138 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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