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________________ // 137 // भावनाधर्मोपरि मरतनृपो दाहरणम् / -SCAAॐ40CCUSA मोक्खपहपस्थियाणवि, सुरनरसोक्खोवलम्मोवि // 3 // जिणधम्मखीरसायरमुत्तिसु सुहमावणासु चिट्ठन्ता / जलजीवावि सुवित्ता हवन्ति मुत्ता महग्यविया // 4 // वारसहिं भावणाहिं दिणमणिमुत्तीहिं उल्लसंतीहि / विहडियमोहतमोहो पसरह खलु केवलालोओ // 5 // जं अकयतबच्चरणा, अदिन्नदाणा अदीहसीलावि / भावणभावियचित्ता, केवलपत्ता सिवं जन्ति // 6 // जह भरहमहाराया, वेरग्गकन्तभावणाकलिओ / निद्दलियकम्मदलिओ केवलनाणेण संवलिओ // 7 // जंबुद्दीवे दीवे अवरविदेहमि अन्तखेतमि / विजयंमि पुक्खलावइनामे पुंडरिगिणी नयरी / / 8 / / तत्थासि वइरसेणो, राया तिथ्थयरनामकम्मेण / उप्पन्नो तिन्नाणो सुरवरकिजन्तसम्माणो // 9 // निम्मलजसप्पवाहो तस्स सुओ गुणनिही वइरनाहो / पढमो तत्तो बाहू सुबाहू पीढो महापीढो // 10 // लोगन्तियविनविओ, बच्छरमच्छिन्नसोवनदाणेण / संतप्पिऊण लोयं राया सिरिमं वइरसेणो // 11 // अहिसिंचिऊण र पढमं नियपुत्तयं वइरनाह / निक्खंतो केवलसिरिं पत्तो तित्थं पवत्तेह // 12 // छक्खंडसाहणेणं पत्तो चकितणं वइरनाहो / निद्दलियवहरिदप्पो तिहुयणविक्खायमाहप्पो // 13 // भवियकमलायराणं पडिबोहणमिहिरमंडलसणाहो / अह एगया पुरीए समोसढो वइरसेणजिणो // 14 // सुररहयसमोसरणे रयणोचयकणयरूप्पपायारे / रमणीए किंकिल्लिप्पमुहेहिं पाडिहारेहिं // 15 // सिंहासणे निविट्ठो जोयणनीहारिणीए वाणीए / भवियाण जिणवरिन्दो धम्मकहं कहह करुणाए // 16 // चक्कीवि वइरनाहो पउत्तिकहणे निउत्तपुरिसे हिं / वद्धाविओ सहरिसं तित्थयरसमागममहेण // 17 // तेसि पसरन्तपुलओ, दाऊणं पारितोसियं दाणं / सत्तट्ठपए गन्तुं भत्तीए तद्दिसाहुत्तं // 18 // धरणियललुलियभालो कयंजली ललियमहुरवाणीए / हरिसंसुपुन्ननयणो सक्कत्थयं भणइ एकमणो // 19 // अत्थाणआस 137 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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