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________________ 45 बयन्तीप्रकरण प्रतिः / // 134 // दोसा // 14 // आरोवियकोडिगुणं जिणधम्मं जो उ सरलयासहियं / परिसीलइ देवगुरुप्पडिणीए हणइ सिरिनाहो // 15 // & वैराग्ययुक्त साहम्मियक्च्छल्ले महल्लसल्लईवर्णमि वियरंतो। अणवरयदाणपसरो सच्चं मयवारणो जाओ // 16 // जिणसासणचन्दुज्जुयवणाव- | भावनया Baa बोहम्मि रोहिणीरमणो / ईसरसिरोवतंसो सजणजणमाणसे हंसो // 17 // विहिणा जिणिंदपूयं तिक्कालं जो करेइ भत्तीए / सामायिक दुरियंतरायदवषणजलधाराधोरणीकरणिं // 18 // सुगुरुचरणारविंदे अमंदआणंदनिन्भरो निच्चं / इंदिदिरसुन्दिरो आसायइट स्वीकार तत्तमयरंदं // 19 // सम्मं पुरिसत्थाणं तिन्हं धम्मत्थकाममुक्खाणं | आराहणिक्करसिओ राया सविसेसमुक्खत्थी // 20 // तस्य / पालइ रजं सुइरं दिचारिकरिंदकुंभनिद्दलणो / विक्कमओ सिंहो इव नयनलिणवियासणे सूरो / / 21 // सग्गविमाणमणोहरवा-४ सहरे अन्नयाइ सो राया / काउस्सग्गं सुतवं चिंतइ साहूण रयणीए // 22 // काउस्सग्गे मुणिणो उवसग्गपरिसहेहि अक्खोहा / निजिणियमोहजोहा जयंतु कंदुजलगुणोहा // 23 // पडिमापडिवन्नाणं साहूण सुसाणकाणणाईसु / अचाहियं न | जायइ रक्खसभूएहि स्यणीए // 24 // आयावणभूमीए सीयायवमेहबुद्धिकट्ठाई / न गणिजंति तिकालं मुणीहिं वोसहकाएहिं // 25 // काउस्सग्गेणेवं आरुढा केऽवि खवगसेणीए / निस्सेणीए केवलसिरीसणाहा सिवं जंति // 26 // काउस्सग्गमभिग्गहपुवं तो म्हंपि काउमिच्छामि / समयच्छिऊण सम्मं एवं सो पडिसुणइ राया // 27 // ताव मए ठायत्वं, उद्धट्ठाणेण धम्मझाणेण / जाव एस जलइ दीवो उजोयतो दसदिसाओ // 28 // कप्पलइ व आणा करुणारामाण जिणवरिन्दाण / सेविजन्ती वियरइ सासयसुक्खं फलं मुक्खं // 29 // सच्चं तवोविहाणं अइसयरयणाण हु निहाणं / जइ जिणवराण आणं कुणंति जीवा सइ पमाणं // 30 // अवरावरहाणेसुं किज्जन्तेसु सया पयाणेसुं / सिवनयरे नहु गम्मइ जिणाण आणारहं मुत्तुं // 31 / / एवं IPaa // 134 // C++++++ +++ + + +
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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