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________________ विनये . बी बपन्ती दृष्टान्तः। वृतिः / // 126 / / ॐॐॐॐ दा अंगे सल्लं तं कहइ पियपुरओ / / 85 // मिच्छावलेवलित्तो न कहइ सन्नो वि जो पुण ससल्लं / स लहइ मच्छियमल्लो इव संहारं सधिक्कारं // 86 / / नाऊणेवं सुहगुरुपुरओ सुद्धिं समीहमाणेण / दुक्कयं निवेइयव्वं लज्जामयनियडिरहिएण // 87 / / उक्तं च ।।-"जह चालो जंपंतो कजमकजं व उज्जुयं भणइ / तं तह आलोइजा मायामयविप्पमुक्को उ" // 88 // दसविह पच्छित्तेण तवतवणेणं फुरंततेएणं / अइनिविडजडिमभावोऽवि मिजए इत्थ किं ? चुजं // 89 // द्वाणमुत्तरुत्तरमेयम्मि तवम्मि लहइ किल हंसो / तं पाडल व सुमणो बियासललियो तहिं होइ // 90 // फलिहमल्लकथानकं समाप्तम् / / गुणरयणायरगुरुयणपूर्य धन्ना कुणंति भावेण / विणएण देवतरुयरदुल्लहकुसुमोवयारेण // 1 // सिवपुरपहम्मि अक्ख| लियगमणमणा चूरयंति विबुहिन्दा / विणएणं कुलिसेणं अट्ठमए पवए गरुए // 2 // विणओ ही मूलबन्धो जिणिन्दधम्मम्मि कप्परुक्खम्मि / जेणेह झत्ति पसरइ सुयक्खंधभोगसंपत्ती // 3 // भणियं च // विणयन्नुयम्मि सीसे दिति सुर्य सूरिणो किमच्छरियं ? / को वा न देइ भिक्खं ? अहवा सोवनिए थाले // 4 // विणया नाणं नाणाउ दंसणं दंसणाओ चरणं च / चरणाहिंतो मोक्खो मुक्खे सुक्खं अणाबाहं // 5 // निजंति जेण निहणं तवेण कम्माई इह विसेसेण / सो विणओ वनिजह मणवयकायेहि कायद्बो // 6 // जो होइ विणयसीलो पुरिसो इह कोहलोहनिम्मोक्को / सो लहइ उत्तरुत्तररिद्धिं संजमसिरिं सिद्धिं // 7 // विणयंगओ सुपुरिसो पुरिसोत्तमसंगमेण दियराओ। दिवगई होइ जहा विणीयकुलपुत्तओ सिद्धो // 8 // तथाहि जंबुद्दीवे दीवे भरहवासम्मि / दसदिसिपसिद्धनामो आसी हिमहालओ गामो // 9 // माइपिऊणं तत्तो एगो कुलपुत्तओ तहिं होत्था / सो सरलमणो चिन्तइ लहुकम्मो मज्झ पियराइं // 10 // एयाइ देवयाई नमसणिजाई वन्दणिज्जाइ / RESEKIS545% 16
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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