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________________ // 121 // A% तपोधर्म स्वरूपम् / निस्सेसकम्मनिम्महण लीया य वज्झो तवा समिणा परसुविहाण, %94%ERCALARAMA5 विद्धसए तहा पावं तवेण खलु जन्तुणो // 3 // सवेसि पयडीणं परिणामवसेण उक्कमो भणिओ / पायमनिकाइयाणं तवसाओ निकाइयाणपि // 4 // सोसंतो जहभावं पोसंतो अहियतेयसंमार / जिट्ठसुइमावललिओ तवो पयावेण परिकलिओ / / // 5 // परमहिमाणुगएणं तवसा डझंति कम्मकमलाई / सचं चिय चित्तं पुण जं दोसा जति लहुभावं // 6 // इहलोए चिय अणिमाइयाण सिद्धीण वरपुरन्धीण / होइ तवस्सऽणुभावा आयडी गुणमहडीणं // 7 // तं पुण जिणेहि भणियं धज्ज्ञ निस्सेसकम्मनिम्महणं / छबिहमऽणंतसिवसुहनिबंधणं होइ जीवाणं // 8 // मणियं च-"अणसणमूणोयरिया वित्तीसंखेवणं रसञ्चाओ। कायकिलेसो संलीणया य वज्झो तवो होइ // 9 // आहारगिद्धिगिरिवरचूला जीवाण झत्ति विहडेइ / अणसणमाइतवेणं असणिनिवारण सयखंडं // 10 // कायकिलेसेणिमिणा परसुविहाणेण जीवतणुमुच्छा / वल्ली छिज्जइ मूला सिवपहरोहिक्कदल्ललिया // 11 // मणवयणकायजोगा धम्मज्झाणम्मि जस्स संलीणा / सो झत्ति बद्धलक्खो दक्खो मुक्खं पसाहेइ // 12 // अभिंतरपि भणियं जिणेहि वरनाणदंसणधरेहि / भवाण सुद्धिहेऊ पच्छित्ताइतवच्चरणं / / 13 / / उक्तं च-"पायच्छितं विणओ वेयावचं तहेव सज्झाओ / ज्झाणं उस्सग्गोवि य अभिंतरओ तवो होइ" // 14 // पच्छित्तं सुपवित्तं आलोयणमाइदसविहं धुत्तं / पावगिरिदलणदक्खं सच्चं रंजइ सहस्सक्खं // 15 // इन्दियकसायअव्वयदुकयं सल्लइ मणम्मि जीवस्स / तं जइ सुगुरुसयासे जीवो आलोयए सम्मं // 16 // सो सल्लमुद्धरतो अजववजेण कूडसंघडियं / दलिऊण पावमयलं सिवमग्गे जाइ अक्खलिओ / / 17 // सिवनयरम्मि पविट्ठो अणन्तवरनाणदंसणगरिडो। सुहसायरमज्झत्थो अणन्तकालं रहह सच्छो // 18 // इहलोएवि य सरलो सलं तं जो कहेइ निवझाए / सो होइ कलिहमल्लो जहा तहा मोमाभागी ACCIRCRECCORE 435
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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