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________________ श्री जयन्ती ॐ- मोक्ष प्रकरणवृतिः / // 120 // CRECRUAGARIE भणियं जीवाइयं न अमेति // 287 // इइ सद्धासंमत्तं संझाइकलंकपकनिमुक्का / परिपालह दिढचित्ता रसा जह सिसिरमणीए | केवलि॥ 288 // आसन्नसिद्धिया पुण जहसन्तिपवनदेसविरइवया / उक्संतमोहजोहा पालह सीलं जओ मणियं // 289 // सन्वेसि सुदर्शनस्य अइसयाणं रयणाणं आगरो इम सील / जं तेण रंजियमणा देवगणा दिति संनिझं // 290 / / सदगुणभूसणेणं सीलेणं अलंकियाण जीवाण / निरुवयसोहग्गसिरी सयंवरा एइ अणुरत्ता // 291 // सो सच्च चिय सामी बुच्चइ सो चेव इह महातेओ / जो सील गमनम् / मुबहतो अमोहसत्तिं पयासेइ / / 292 // पंचिन्दियदमणेणं तं पुण सील हवेइ इह विमलं / तो पंचिन्दियतुरया दमियत्वा सुगुरु-18 सिक्खाए // 293 / / जओ-अवरावरविसएK वियरन्ता सीमलंघणुज्जुत्ता / दुईतिन्दियतुरया भवकंतारे भमाडिन्ति // 294 // कोहाइकसायाणं दुरन्तदुक्खाणं खाणिभूयाणं / पसमाइगुणञ्जणओ निग्गहणं कुणह जं वुत्तं // 295 // गुरुवयणमन्तज्झाणं करेह तह कहवि भवसुसाणंमि / कोहाइणो कसाया जहा पिसाया न नद्दन्ति // 296 // ताणं च निग्गहेणं केवलसिरिसिद्धिभायणं जीवो / तिलोयमत्थयत्थो परमाणन्दं लहइ निच्चं // 297 // इच्छाइदेसणाए दिणयरपसरन्तरुइसणाहाए / बुज्झन्ति मोहनिद्दावगमेणं पाणिणो तत्थ // 298 // अभयादेवी पंडियधाई तह देवदत्तगणिया य / उवसन्ता पडिबुद्धा खामन्ति सुदंसणं साहुं / / 299 // सोवि सुदंसणसाहू भवियणकूमुयाण बोहणे चंदो / तारयजोईणुवरि अकलंको सिवपयं पत्तो // 30 // शीलप्रशंसायां सुदर्शनकथानकं समाप्तम् // सबत्थसिद्धिहेऊ संसारसमुद्दतारणे सेऊ / होइ तवो कायवो वज्झो अन्मिन्तरो चेव // 1 // भावेण मंगलं सो असेसमाइसल्लनिमुको / सिद्धिवहुहियपहारं विहेइ नीवं गुणाहारं // 2 // जो मणियं-हुयासणेण तत्तस्स कणगस्स जहा मलो / 120 // ASCIAGNESCENDAR OCRECAS
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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