________________ सुदर्शन श्री बचन्तीप्रकरणइतिः / // 118 // GARCANANAGAR हूया // 253 // सा तं तत्थ कयत्थइ सुमरन्ती पुत्वजम्मवुत्तन्तं / जेणाणुगामिवरं रिणं व जीवाण संसारे // 254 // उवसग्गपबन्धेहि निरंतरं तयणु कीरमाणेहिं / अभयाए देवीए कुद्धाए अइविरुद्धाए // 255 // न य तस्स मणोवित्ती | मुनिवरस्य उवसमरससारिणी पसप्पंती | धम्मज्झाणारामे थक्कइ बहु मूलगुणहेऊ // 256 // तत्तो अपुवकरणे आरूढो खवगसेदिनिस्सेणिं / प्राप्ते गिण्हइ कुसुममुज्जलमक्खयमहक्खायचारित्तं / / 257 // अह अभयाए दोसं अन्नाणमहंधयारहरणेण | अवणिन्तो निहणतो केवलनाने अन्नजोईण उज्जोयं // 258 // केवलनाणदिणिदो सुक्कझाणोदयम्मि अयलम्मि / लोयालोयउज्जोयं करेइ उइओ मुणिन्दस्स | धर्मदेशना। | // 259 // तयणु सुदंसणमुणिवरगुणेहि आयड्डिया महिड्डिया / देवा कुणंति केवलनाणमहं भत्तिसत्तीहि / / 260 // तथाहि गधोदयसित्ताए धरणीए पंचवनकुसुमाणं / वुद्धि मुयंति सरहससीहनिनाएण वयन्ति // 261 // उक्किकलयलेणं उप्पायनिवायअंगहारेहिं / पूरन्ति चउक्काई दिसासु तुट्टन्तहारेहि // 262 // नजइ ओसारिन्ति य चेलुक्खेवेण कम्मरयपडलं / बहिरिन्ति दसदिसाओ मंगलगंभीरतूरेहिं // 263 / / वायन्ति दुंदुहीओ सवणामयबुड्डिनेहलसहीओ / अइसुरहि-18 परिमलाउ ठाविन्ति य धूवघडियाओ // 264 // देवंगणाहिं सद्धिं तग्गुणबद्धाई विविहगेयाई / गायन्ति महुरमहरं वीणाज्झंकारसाराई / / 265 // तत्थवि ठवन्ति देवा कंचणकमलं फुरंतकिरणोहं / उजोइयसबदिसं केवलनाणं व मुत्तिधरं // 266 // उवविसह तस्स उवरि केवलनाणी सुदंसणमुणिन्दो | तत्तो सम्भृयगुणं थुणन्ति देवा सबहुमाणं / / 267 // जयसि तुम | मुणिपुंगव ! जयंमि एयंमि दिवमाहप्प ! / जेण तए निद्दलिओ दप्पो कन्दप्पसप्पस्स // 268 // रागाइयाण सुमणोवइरीणं PJ जं हणेइ माहप्पं / तुह दंसणं सुदंसण ! सुदंसणं चेव थुणिमो // 269 // चुजं संवरभरिए तुमंमि सच्छासयंमि न मिलाणं / // 118 //