________________ // 117 गृहीतायां दीक्षायामुपसर्गे धीरत्वम् / CASSACRECITIES * | वडिएण सुइरं सुदंसणेण तु पडिसिद्धो / / 237 // सीलपहंमि अमुढो सिंगारियहत्थिखन्धमारूढो / लद्धनरिन्दाएसो विरइय- सुररायसमक्सो // 238 // कयमंगलोवयारो महिड्डिसामंतमंतिपरिवारो / पडिपयजणजोकारो विचित्तबाउज्जझंकारो // 239 // परिहरियाहंकारो दिसि दिसि पसरन्तकित्तिवित्थारो। सुविहियनामुच्चारो भयणीसमगणियपरदारो // 24 // एस सुदंसणसिट्ठी सइ सुमरिजन्तपञ्चपरमेट्ठी / अस्थिजणाणं आसं पुरिन्तो जाइ आवासं // 241 // अभयावि इमं सोउं उबंघेऊण हणइ अप्पाणं / परदोहकरा जीवा मरन्ति कीवा सयं चेव // 242 // धाईवि मउन्भन्ता तुरियं गन्तूण पाडली पुत्ते / नयरे निवसइ सविहे गणिआए देवदत्ताए // 243 / / तत्थवि तिस्सा पुरओ सुदंसणं धुणइ पंडियाधाई / तह जह * गणियाएवि हु तस्सुवरि होइ अणुराओ // 244 // सिट्ठी सुदंसणोवि हु संविग्गो भवनिवासउद्विग्गो / सुहगुरुचरणविलग्गो संजममारं धरह धीरो // 245 / / गुरुकुलबासे रयणायरंमि परिसुत्तमेण अह सेण / पत्तं गीयत्थत्तं कमेण कुत्युहमणिप्पडिमं // 246 // पउमं व निरुवलेचो दरं परिचत्तसवअवलेवो / तवचरणसोसियंगो विहरइ सवस्थ निस्संगो // 247 // अह एगागिषिहारे पडिमं पडिवजिऊण विहरंतो / पाडलिपुत्ते नयरे पचो उज्जयविहारेण // 248 // गोयरचरियाइगयं तस्थ य दट्टण पंडियाचाई | मिक्खट्ठा हकारइ गणियागेहमि दंमेण // 249 // अणुकूलं तो पसरह सच्छेहि पएर्हि अह अतुच्छेहि / | सा देवदत्तगणिया लावनतरंगिणी बहुहा / / 250 // किंतु मुणिंदे पक्ष्यवरंमि पविकढिणधम्महिययंमि / अवगयस्यसंभारे न हवा मेओ मणागपि // 251 // उवसग्गन्ती गणिया तेणं तिणपूलय व सा गणिया / तं चुजं जं तीए न तत्थ मयणानलो अलिओ // 252 // सायं तीए मुको उजाणं जाइ सो महासन्तो / तत्यवि अभया पिच्छइ तं वन्तरदेवया 16ACE5CARALX 117 //