________________ ला जयन्तीप्रकरणवृतिः / GAAA निष्फले वधप्रयासे राज्ञा सत्कारपूर्वकं स्वप्रासादे नयनम् / MOCRACHAR // 220 // एकं चिय इह दुक्खं पस्लोयपसाहणमि जिणधम्मे / पयडो न गुणारोहो मए कओ सरलयासहिओ // 221 // हिययस्थलंमि रूढो सुहगुरुपाएहि पसरिओ धम्मो / कप्पडुमो मह फलओ किं होही ? किं अन्नचिन्ताए ? // 222 / / इय एस सुद्धलेसो सिट्ठी अमिलायमाणमुहकमलो / आरक्खियपुरिसेहिं नीओ जा वज्झभूमीए / / 223 / / तो तिक्खसूलियाए ते आरोविन्ति रायआणाओ। भिचाण लंधिया सा भयंकरी जायए जेण // 224 // तत्तो सासणदेवी संनिज्झेण इमस्स सिटिस्स। सुविसुद्धबंभसिरिणो सूला कमलासणी भूया // 225 // वावारिया य तेहिं कंठे एयस्स तिक्खकरवाला / जायंति कुसुममाला परिमलगुणलुद्धअलिजाला / / 226 // दट्टण पाडिहरं हरिहरहेरम्बदेवयाणं व / ते आरक्खियपुरिसा गन्तुं कहयन्ति नरवइणो | // 227 // तो राया विम्हइओ वियासिनीलोप्पलाहदिट्ठीओ। वित्थारिन्तो करिणीखंधारूढो दूयं एइ // 228 / अह तत्थ गओ तुरियं सिद्विस्स पभाकरस्स तेएण / दोसामासित्तेणं राया कन्ति परिहरेइ // 229 // अवगूहिऊण निहुयं राया महुक्खरं पयम्पेइ / सिद्विसुदंसणनिहि ! न तं मओ अप्पमाहप्पा / / 230 / / असमक्खियकारित हियए करवत्तय व दारुम्मि / मह सरइ निरन्तरयं दुहावहं किमिह जम्पेमि ? // 231 / / अहवऽन्नाणमहागहगहकल्लोलेण कवलियं मझ। पुनिमपञ्चनिसाए सबंपि विवेयविहुविवं // 232 // तो पुरिसुत्तम ! किजउ एसऽवराहो खमावहो मज्झ / जं सि सुदंसणधारी जए पसिद्धो तुमं चेव // 233 // एवं खमाविऊण करिणीखंधमि तं समारूढं / परिवारेण समेओ निययावासं निवो नेइ // 234|| न्हविऊण चंदणेण विलित्तगत्तो सुदंसणो तसो। मणिभृसणरुहरंगो देवंगदकूलनेवत्थो // 235 // साणुणयं सप्पणयं वीसत्थो पुच्छिओ नरिंदेण / सयलंपि कहइ निहुयं अणुहूयं स्यणिवुचन्तं // 236 // अभयाए देवीए कुद्धो रायावि निग्गहिउकामो / पाय AAAE RI 11