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________________ | कायोत्सर्ग स्थिता तत्पत्नी मनोर|मासती। AAAAAAEISASSIS होइ पलएवि कहवि तमपसरो / तह मज्झ वल्लहाओ न सबहा दोसलेसोवि // 205 // रायावि एस आयारखीरनिहिणो करेह उल्लासं / तं एवं दहहेऊ मन्ने दुट्ठो विही चेव // 206 // जम्मन्तरम्मि अहवा सयमेवारीवियस्स अवियप्पं / दिढमलकम्मतरुणो फलमेयमुवट्टियं तस्स // 207 // किं तस्स पडियारो कीरइ केणावि सत्तिमंतेण / होही तहावि जाणे जिणिंदपयापभावेण // 208 // भणियं च--'भत्तीए जिणवराणं खिजंति पुत्वसंचिया कम्मा। आयरियनमोकारेण विजामंतावि सिझंति ' // 209 // एवं विचिन्तिऊणं मणोरमा निच्छि ऊण परमत्थं / न्हाया कयबलिकम्मा जिणिंदपडिमाणं करेह पूयं // 210 / / तो सासणदेवीओ सम्मदिद्विस्स जइ करिस्संति / संनिजं मह पइणो तओऽहं पारहस्सामि // 211 / / अन्नह अणसणमेवं मए पवनं न इत्थ संदेहो। धम्मपईण विणासे जं कुलरामा न जीवंति / / 212 // इय भणिऊणं एसा मणोरमा जिणवराण पयपुरओ / काउस्सग्गेण ट्ठिया सुरगिरिचूल व निकम्पा // 213 / / सिट्ठी सुदंसणोवि हु दिढसत्तो होइ हिययफलयंमि / वसणजलहिम्मि पडिओ निजन्तो चिन्तए एवं / / 214 // तहाहि-- ___मह आवयावि धना गंगासबंभचारिणी एसा। अवणेइ जेण सयलं पुजियपावमलपडलं // 215 // नामेणं चिय अभया एसा अचाहियस्स जं जणणी / सत्तभयविप्पमुक्का भावेणऽभया हवइ सिद्धी // 216 // तं अभयं जे पत्ता धन्ना ते | चेव महासत्ता / जम्हा ते जीवाणं न हेयवो कम्मबंधस्स // 217 / / एसो य गिहावासो एरिसकट्ठाण अडइसंकासो / जं | इत्थ अक्खरइया रामाओ रक्खसीओ व // 218 // आबालभावउ चिय सुहगुरुमूलप्पसंगरसियाण / सुमणोवियाससहलं नराण जम्मं तरूणं व // 219 // एसा दुत्थावत्था खस्यरसाणासहोयरी नूणं / पावदलदलणहेऊ परमत्थोजोयणे मज्झ AHMAKALAM
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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