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________________ भी AKA बवन्तीप्रकरणवृतिः / नगरलोकस्य हाहाकार। // 114 इय पुणरुत्तं वुत्तोवि देव ! देहम्मि मह कुणइ एयं / तो पुकरियं ननं जउऽबलाणं बलं होइ // 189 / / एयंमि महापुरिसे एयं न हु हवइ किल जुयंतेवि / तो राया तं पुच्छह सणियं सणियं किमेयंति ? // 190 // अभयोवरि करुणाए पुट्ठो नवि किंपि जंपए स सेट्ठी / ॥ज परतावहरं चिय घटुंपि हु चंदणं होई // 191 चिंतइ तओ य राया पुच्छिअंतो जमेस तुसणीओ / चिट्ठइ तमहं मन्ने परदारपरंमुहो नेव // 192 // आरक्खियपुरिसाणं रना रुद्वेण तो समाइ8 / पञ्चाइऊण दोसं नयरीए एस हन्तवो // 193 // तो तेहिं चाहाहिं धरिऊणुप्पाडिओ तओ ट्ठाणे / वयणेणं सिद्धीओ मणेण देवाण व निवाणं | // 194 // मसिलितमुहो गत्ते लित्तो अइरत्तचंदणरसेण / रत्तकणवीरकोसियमालाहिं सिरगलावरणो // 195 // आरक्खियपुरिसेहिं एसो दिढबजडिंडिमरवेण / मामिजह नयरीए छित्तिरछत्तो खरारूढो // 196 / / एसो कयावराहो रनो अंतेउरंमि तेणित्थं / निग्गहणिजोऽवस्सं न दोसवं इत्थ रायावि // 197 // इय घोसणेण लोओ पहे पहे पिंडिओ निरिक्खंतो / चिन्तइ अहो किमेयं ? विहिणो अघडंतसंघडणं // 198 // अमयमओ तावहरो कलालओ सबजणमणाणंदो। विहिणा विहिओ कहमवि ही ही चंदोवि सकलंको // 199 / / अवराहमंतरेणवि ससहरसूराण राहुणा गसणं / दीसइ जह तह वसणं मन्ने एयस्स गुणनिहिणो // 20 // अहवा जह चंदणमवि लहइ दुहं विविहविहरणाइयं / घटुं पुण वंदिजइ होही तह एस नणु पुजओ // 201 // हाहा कयंत ! निग्षिण ! गुणस्यणमहोयहिस्स महणेण / ईसरो व कालकूडं अजसं चिय जइ परं लहसि / 202 // इय हाहारवबहिरियदियंतरं नयरिलोयनयणाण वाहजलं बहु पसरइ तद्दोसमलं व अवणेउं // 203 // एवं सघरदुवारे भामिजन्तो समेइ अह कमसो पेच्छइ य तं ।महासई मणोरमा तस्स वरपरिणी / / 204 // जह सूरमंडलाओ न ASHARASINGH // 114 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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