SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ RECO में तथा कलाके दत्ते मौनिसुदर्शनस्य | राज्ञा शूल्यारोपण शिक्षा // 113 // 8 // 172 // एवमुपसम्गजलनिहिसिंगाररसुल्लसंतलहरीहिं / गुणचंदणवणमलओ एसो अइलु (अचलः) च्चिय सहाणे // 173 // चिंतह य एस धीरो जइ एयाए कहिंचि मुच्चिस्सं / पारिस्सामि तओऽहं सन्नासो अन्नहा मज्झ // 174 / / अह अक्माणमहिंधणजणियाकोवग्गिधूमकुरुलीओ। णं अभयादिट्ठीओ निवडंति सुदंसणे किन्हा // 175 // भणइ य अभया निट्ठरं ममावमाणेण नत्थि ते जीयं / जं हुंति माणणीओ निग्गहऽणुग्गहमणा मृढ ! // 176 // ता मा में अवमाणय माणेण भिंभलीभूयं / अन्नह तुमं महापहपहिओ होहिसि न संदेहो / / 177 // दुव्वयणानलता जहा जहा देइ सा महापावा। तह तह तस्स ज्झाणं कणयंपि व निम्मलं होइ / / 178 // अहवा खमागयाणं वसणे वसणे य पसरह सुझाणं / जह खीरतरुयराणं छेए छए हवइ च्छीरं // 179 / / अहिगरिणीए तीए दुवयणेहिं घणेहि अणवरयं / वयरं व ताडणाहि भिन्नं न मणो मणागंपि // 180 // अयलंमि तम्मि तीए तमस्सिणीए स्यंमि पसरन्ते / खेडंतीए विसरिसमणोरहा अहव भजंति // 181 // अह जायमि पभाए नहरेहाहिं नहं व अरुणाहं / काऊण नियसरीरं करेइ कोलाहलं अभया // 182 // वाहरिया इव तेणं पाहरिया तत्थ इन्ति संभन्ता / काउस्सग्गेण ट्ठियं सुदंसणं ताव पेच्छंति // 183 // एयंमि महासत्ते अवगयतत्ते न संभवइ एयं / एवं चिंततेहि विनत्तो नरवई तेहिं // 184 // सोवि सविम्हयहियो समागओ दट्ट सिद्धि उस्सग्गे / पुच्छइ अभयं देवि मियच्छि ! किं एयमावनं 1 // 185 / अभयावि भणइ तुम्हापसेणं सामि! जाव चिट्ठामि / ताव अकम्हाए सो दिट्ठो चिट्ठो पिसाउ व // 186 / / एसो वम्हहबिहुरो मेसो इव मत्तमाणसो सामि ! / मामन्भत्थिय बहुहा रिरंसुओ उस्सुओ संतो // 187 / / जह असईसुं गच्छसि तह तं सुईसुवि सुहाई / मुद्धचणय व निहुयं मिरियाणिवि किंतु खजंति // 188 // कृता। RRIGAROACHERECECRk' // 113 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy