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________________ 15 // 1.1 // 5 NAGACAMASSACREC% गिजंतजिणिंदगुणचक्का // 70 // दिअंति य दाणाई सुगइनियाणाई गुणनिहाणाई / घोसिखए अमारी सुकयकयाणाण वक्खारी // 71 // बझंति तोरणाई उवसोहिजंति सवसरणाई / गिझंताभरणाई मुञ्चति य गुत्तिधरणाई / / 72 // दमंतधूवधूमधयारमेहावयारसंकाए / पयडंति जत्थ तत्थ व सिहंडिणो तंडवं हिट्ठा // 73 // तो पुष्फपयरकुंकुमच्छडाहिं रमणीयरायमग्गेसु / संचरमाणमि रहे महामहे धम्मिजणनिवहे // 74 // अणुगच्छंतचउव्विहसंघसमेया सुहत्थिणो गुरुणो। अह दिवा ओलोयणहिएण संपइनरिन्देण // 75 // मन्नेमि दिट्ठपुव्वा मए इमे सोममुत्तिणो मुणिणो / अह माणसंमि चियसइ विवेयकुमुयायरो तस्स // 76 // गुरुपक्खवायकलिया सहसा मोयंमि पसरिए तत्थ / भमरि व पुत्वजाई सम्मं सरिया नरिन्दस्स / / 77 // आणंदपरिणएणं गएणं सूरीण अंतिए तेण / पयकमलप्पणएणं अवणीओ विरहसंतावो // 78 // तो राया अणवस्यं अमंदआणंदवाहबिंदुहिं / हारं च स्ययइ पणओ गुरुण पयपउमलच्छीए / / 79 / / जंपइ य संपइनियो रहसभरुभिन्नबहलरोमंचो / भयवं ! पञ्चभिजाणह मं? तुम्हे सम्ममुवउत्ता // 80 // गोवहरुइपसरेणं वियसियमणनयणवयणकमलेहिं / तो भणियं सूरीहिं महुयररवमहुरसद्देणं / / 81 // कोसंबिपुरवरीए ओमे अम्हाण तं सि सीसोत्ति / वुत्ते गुरुहिं राया अमियरसेण व संसित्तो // 82 // मिच्छत्तविसविमोहणरहिएणिमिणा तओ नरिन्देण / सम्मइंसणमणहं पडिवनममंदहरिसेण // 83 // देवगुरुभत्तिगंगा पसरइ हिमसेलमहिमओ तत्तो / हवइ य सवत्थ तओ पयाण अणकूलमामित्तं // 84 // तस्स निवइस्स रत्ते जणमि उदयंगमि मित्तमि / संपञ्जइ पइदिवसं कमलाणं कोसवित्थारो // 85 // अणुरत्तमंडलेणं महप्पभावेण मंतजोगेण / एएण नरिंदेणं भवर्णपि वसीकयं तत्तो // 86 / / उत्तुंगत्तोरणाई कंचणकलसुच्छलंतकिरणाई। तवणिजदंडधयवड रथयात्रागतसुहस्तिगुरूं दृष्ट्वा प्राप्त जातिस्मर|णसम्प्रति नृपेण शासनप्रभावना कार्य कृतम् / 94%EC D // 101 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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