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________________ जयन्ती. प्रकरणपतिः / तस्योपरि पुत्रस्य करुणाभावना। // 96 // 4%ECIA वंतरसुरेसु किबिसिओ / तिसिओ किसिओ छुहिओ पुत्तय ? तुह पासमल्लीणो॥१॥ सम्मं पञ्चभिजाणसु गिहदक्खिणकोणनिहि अहिराणा / हकारसु नियजणणिं बंधवपमुहं कुटुंबंपि // 62 / / आहूय आगयाणं साणं स करेइ उचियमालावं / रणस्णयपरिग्गहिओ तो पुत्तो विनवइ एवं // 63 // तं पत्तं तं तित्थं जाणावसु ताय जस्स वियरेमि / दाणं सुगइनियाणं गिहसवस्सोवउगेण // 64 // जणएण तओ वृत्तं वच्छ ! तए मासियाइपवेसु / पजंतं चिय दिन न किंपि पत्तं मए तहवि // 65 // तो लवइ बंमचंदो सुगईए तुम्ह कारणं ताय / जलणाइसाहणेणं करेमि पाणाण परिहाणि // 66 // मा अत्तय ! इइ जम्पसु जाणियनिस्सेससत्थपरमत्थ / जं अप्पघायगाणं अगइ चिय होइ जीवाणं // 67 // अन्नं च-पावविसुद्धिनिमित्तं अप्पवहं कुणइ जो महामृढो / न हु होइ तस्स सुद्धी पंकेण व मलिणवत्थस्स / / 68 // कहमनहा अहं तुह पुत्तो सुगईए कारणं होमि / दिट्ठो सुयम्मि सग्गो पियराणं इयकह सत्थं // 69 // इय सुयवयणे जंपद जणओ तं वच्छ ! मह इमं देहि / जं अईयरयणिकरुणादाणसमुवज्जियं पुनं // 7 // तित्थेसु न्हाणाई न हुंति दाणाई तवविहाणाई / सुगईए नियाणाई दयाए दाणं जहा दिनं / 71 / / एवं विचिंतिऊणं पुत्तो पिउणो पयासियप्पणओ / दुविहकुसेण पवित्तियकरकमलो देह तं सुकयं // 72 // संतोसं समुबहंतो पुत्तं संभासिऊण सकुडं। सो सोमदेवजणओ संपत्तो इच्छियं द्वाणं // 73 // करुणादाणकहाणयं सम्मत् // लोगुत्तरजिणधम्मे छजीवनिकायवच्छले देयं / दुहियाण दयादाणं धम्मदुमसरसगुणट्ठाणं // 1 // दमगस्स दयादाणं अजसुहत्थीहि दिधनाणीहिं / दिनं निस्संगेहिवि नाऊणं सासणुजोयं // 2 // तथाहि-जंबुद्दीये दक्षिणभरहद्धे मज्झम्मि RECORIE% EC % 94%AES
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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