________________ 93 // * सोमदेवब्राह्मणदृष्टान्तः। हिययाणं / जलहीणवि हवइ चिय निम्मलमुत्ताण संपत्ती // 12 // करुणाए जं दाणं दिन दीणे कुलाइहीणेवि / लोएवितं भणिजइ सुगई वियरेइ पियराण // 13 // तद्यथा-रयणपुरं नाम पुरं आसि पुरा तत्थ माहणो एगो। छक्कम्मकरणरसिओ नामेणं सोमदेवोत्ति // 14 // पुरिसुत्तमो पसिद्धो असेससयणप्पिओवि अगओवि / अच्चुयसीलसहावो असंखलच्छीहरो किंतु // 15 // विणयगुणकोडिकलिया उत्तमवंसुम्भवा य तस्स पिया। परलोयसाहणुज्जयधम्मलया आसि सोमसिरी // 16 // सयणकुमुयाण चंदो गुणमणिसंपत्तिरोहणगिरिंदो / नामेण बंभचंदो ताण सुओ जणमणाणंदो // 17 // अन्नेवि ताण तणया सच्चाहिठियतणुत्तसिरिवइणो। अजणदणावि भोगोवभोगसुहिसयणसोहग्गा // 18 // अह अनया निसाए मज्झिमजामम्मि चिन्तए एसो। संपइ जरा वियंभइ गिहासमे मह वसंतस्स // 19 // तो अहुणा नियपुत्तं जेई ठावित्तु गिहिपए विहिणा / सन्नासपवित्तीए सग्गनिवासं समीहेमि // 20 // दियवरविइनदाणो जहारिहविहियसयणसम्माणो / आसातलं दियाणं अत्तपए ठावए पुत्तं // 21 // वियरह तओ य सिक्खं पुत्तय ! तं चयसु सइ कुसंसग्गं / जं तेण उजलाणवि गुणाण कलुसत्तणं होइ // 22 // पेच्छह परमत्थपर्य दोहिवि नयणेहि सो सहस्सक्खो। जो परदारपरम्मुहदिट्ठी ननो सुरिंदोवि // 23 // अन्यच्चजाण परजुवइमणहरममुहाधणुमुक्कलोयणसरेहिं / सीलकवयं न भिन्नं नमो नमो ताण पुरिसाण // 24 // सवत्थ पसंसिजइ उदारया माहणेहि सविसेसं / तो वच्छ ! वच्छलेणं हेयत्वं चेव किवणत्तं // 25 // तं वच्छलपईवो सवासाण पयासदुल्ललिओ। तं लहसु दसं पुत्तय ! गुणेसु नेहं धरसि जीए // 26 // दाऊण सिक्खमेवं ससमयमग्गेण सोमदेवदिओ। अग्घोदएण साहइ सन्नासे साहसावासं // 27 // सो तेण दियवराणं दाणेणं मासियाइपवेहि / लोयववहारेणं उअमिओ AAACCASIRSSC // 93 //