________________ श्री जयन्तीप्रकरणवृतिः / उचितदानस्वरूपकथनम्। // 92 // RANAGAR जं एवं मुणिपुंगवपत्तं पत्तं घरगएण // 351 // मासतवे पडिपुन्ने हवइ सुपत्तम्मि बहुफलं दाणं / वासासु सुवीयं पिव उत्तं PI उत्तं सुखेत्तम्मि // 352 // इय मेहासारेणं कयंबकुसुमाणुगारपुलएण | एएण तस्स रिसिणो परमन्नं पारणे दिन्नं // 353 / / पुन्नोदएण इमिणा नरवर ! गुणरयणरासिणा गुरुणा / मुत्ताण ठिई निचं लहियवा वीरभद्देण // 354 // एवं सुपत्तदाणं मोक्खपासायपढमसोवाणं / कल्लाणाण निहाणं दायत्वं तो सबहुमाणं // 355 / / वीरभद्दकहाणयं सम्मत्तं // उचियत्तदाणविहिणा परपासंडीण गिहमुविन्ताणं / संजमिया दुबायावग्घी किल दाणदामेण // 1 // दळूणमुचियदाणं केइ पसंसं कुणंति जिणधम्मे / तेण गुणारोवेणं परलोयं तेऽवि साहिन्ति // 2 // उचियत्तेणं दाणं गिहिणा गीयत्थसावयवरेण / काले गिहागयाणं दवलिंगीणमवि देयं // 3 // उक्तं च-काले गिहागयाणं पडिसिद्धं भयवयावि नो दाणं / जं पुण तदत्थमसुमंतघायण तं पुण न जुत्तं // 4 // सुमणोवियासवाडी गिहीण जा उचियदाणपरिवाडी। जं तत्थ कहवि हुआ निच्चफलो बोहिलामोवि // 5 // दीणाण अणाहाणं छुहापरद्धाण रोरंकाण / अणुकंपाए दाणं दायत्वं सावयवरेण // 6 // रोराइयाण करुणा विइन्नगासेण तोसपोसेण / कुंदकलियासमुज्जलकित्ती वि हवेज जिणधम्मे // 7 // तक्कित्तिकरणओ पुण, दंसणबुद्धी तओ य चरणेण / सिद्धिपुरम्मि समागमसुहसंपत्ती चिरं होइ // 8 // चुञ्जमणुकंपमाणो जिणमयवमेण बोहिवीजम्मि / सिरिखच्छरूवलाहे न होइ अस्सत्थपरिणामो // 9 // अणुकंपाए चाओ हवइ हु जीवाण कोडिसंघडिओ। निवट्टियपुरिसयारो परलोयपसाहओ लोए // 10 // इह पढममुयारतं पन्नत्तं धम्मसिद्धिलिंगमिणं / जं पुण करुणाहारं तं सहलं होह किं चुजं // 11 // भूसियमिहवलयाणं पउरदयाणं महीर CIRCRAC%ESAKASON VI // 9 //