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________________ जयन्ती प्रकरणइतिः / // 90 // FACEB%A5% वच्छे ! अच्छरसमाणरूवाए / अच्छेरयभूयाए इहागयाए कहसु इहि / / 319 // तो कहिए वुत्तंते बुत्तं समणीहिं सुंदरि ! रत्नवती इमाहिं / भगिणीहिं समं धम्म कुणमाणी चिट्ठसु तुमंपि // 320 // तो ताण पाणवल्लहसमाणगुणकहणतुट्ठचित्ताण / श्रमण्युपाजं बुद्धो देवभवो भत्तत्ति विसंवयइ वयणं // 321 // समणीणं सिक्खाए दक्खापाणेण संततावाण | धम्मज्झाणपराण श्रयपाचे | दिणाणि वच्चंति तो ताण // 322 // सुरमणिरूवमाणं हरंति लावण्णजलहिलाओ। अइनिउणधीवरेहिं वि अलद्धगंभीर- मुक्त्वा मज्झाओ // 323 // इय अन्नदिणे नरवइअत्थाणे ताण गुणकहावसरे / एगेण वामणेणं भणियं खोहेमऽहं ताओ // 324 // गुप्ततो कोउगेण रना सहऽप्पपुरिसेहि पेसिओ एसो। वामणओ वसहीए गंतुं वंदेइ वइणीओ / / 325 // वंदित्ता वसहिओ वामनरूपो नीहरिओ लोयविंदपरियरिओ / सोहग्गसिरिनिवासो आसीणो पट्टसालाए / / 326 // ताणपि कोउगेण पेच्छंताणं भणेइ जातः। वामणओ / चरियं अइअच्छरियं कहेमहं वट्टमाणस्स // 327 // इह अस्थि जंबुद्दीवे भरहवासम्मि मज्झिमे खंडे / सिरिउसहदत्तसिट्ठी नयरीए तामलिचीए // 328 // तस्स पुण वीरभद्दो पुत्तो गुणरयणरोहणगिरिंदो / तेण सुया परिणीया सायरदत्तस्स सिद्विस्स // 329 // तं घेत्तुं लच्छीमिव इमाओ नयराओ सायराउ व / अच्चुयसोहग्गसिरीए पत्तो सो तामलित्तीए // 330 / / इइ कहिए वामणओ जा उद्वेइ रायउलम्मि गन्तुमणो। पियदसणाए मणिओ ता पुरओ तस्स का वत्ता ? // 331 / / परपुरिसालावपरा जइ कहवि हु कावि हुज हरिणच्छी / नाहं करेमि तहविह कहिंपि परमहिलसंभासं // 332 // पियदंसणा पयंपइ नजइ तुह संखमझकुडिलत्तं / ते विस्सरूववामण करेह मह निव्वुई किंतु // 333 // जइ एवं ता कल्ले सवित्थरं वीरभद्दचरियमहं / सवपि तह कहिस्सं IP90 // A5%
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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