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________________ // 339 // * वसुदेवस्तु ते तातः प्रवीरसुभगाग्रणीः / कंसत्रस्तेन तेनाऽत्र ख विमुक्तोसि रक्षितुम् // 67 // देवकी ते च जननी देवकक्ष्मापनन्दनी / * | यात्रैति प्रतिमासं त्वां द्रष्टुं गोपूजनच्छलात् // 68 // रोहिणीतनुजोऽहं च वैमात्रेयोऽग्रजोऽस्मि ते / रक्षितुं त्वां नियुक्तोत्र तातेना- ble कंसस्वरूप| पायशङ्किना // 69 // दाक्षिण्यैकनिधिः कसोपरोधान्मथुरां पुरीम् / इमामेवालङ्करोति वसुदेवः पिताऽऽवयोः // 70 // कंसात्कस्माद्भय कथनं मल्ल| मिति प्रोक्त कृष्णेन सात्वतः / आचख्यावतिमुक्तोक्ति तथा बन्धुवधप्रथाम् // 71 // कृष्णस्तदा तदाकर्ण्य क्रुधा ज्वलनवज्ज्वलन् / युद्धदर्शनाय * मथुरागमने | कंसध्वंसं प्रतिज्ञाय स्नानाय सरयूमगात् // 72 // दुष्टः कंसादिष्ट इव रुष्टोऽहिस्तत्र कालियः / तमभ्यगात्फणारत्नदीपैः पश्यन्निवांतकम् दर्शिता | // 73 // किमेतदिति जल्पाके रामे वामेन पाणिना / तं धृत्वाऽनस्तयद् घ्राणे नालेनाब्जस्य केशवः // 74 / / महाभुजो भुजंग तं शरा दशाः | रुमपि शाङ्गभूत / आरुह्याऽभ्रमयन्नीरे क्रीडन्नुडुपवचिरम् / / 75 / / कृत्वा मृतमिवनं चाखिन्नः खिन्नं विमुच्य च / निययौ केशवो चत्रे चाशु सौत्रातिकैद्विजैः // 76 / / रामेण बंधुना गोपैदेर्पाटोपैयुतोऽथ सः / अचालीत्प्रतिमथुरं क्रमात्प्राप च गोपुरम // 77 // इमौ यमनिभौ कंसाऽऽदिष्टहस्तिपकेरितौ / धावितौ निहतौ ताभ्यां तो पद्मोत्तरपंचकौ // 78 // नन्विमौ तावरिष्टादिधातको नन्दनन्दनौ / दयमानाविति मिथो नागरैः / प्रीतिजागरैः // 79 // नवमालाधरौ नीलपीताम्बरनिभावुभौ / निशादिनाभ्यां युगपत्स्पर्द्धयेव निपेवितौ // 8 // एत्य मल्लभटीभृमि तौ सगोपपरिन्छदौ / आसाते स कचिन्मने बलादुत्थाप्य तुजनम् / / 81 / / अदर्शयन्पुरो रामः | कामं वामं भयंकरम् / हरेमचशिखोत्तंसं कसं क्रूरमिव ग्रहम् // 82 // पृथग्मञ्चपु दिव्यश्रीप्रपञ्चषु निषेदुषः / कंसकराशयज्ञानोद्भटै- Todle युक्तान्महाभटैः / / 83 // समुद्रविजयादींश्च दशकल्पाधिपानिव / निजान् पितृन् श्रीमहार्हान दशार्हान् व्यक्तमाख्यत // 84|| युग्मम् / / // 339 // प्रभाप्रभासुराकारौ देवाकारौ नु काविमौ ? / इत्यामृशद्भिरैक्ष्येतां भूपैः पौरैश्च ती मिथः / / 85 / / वधे गंधेभयोलोंकैस्तत्कृते कथिते तदा /
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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