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________________ / / 535 // वज्रजंघमत्रिविज्ञप्तिः महीभुजे / प्राहिणोत्प्राभृतं दण्डे क्षेमार्थी कोशलेश्वरः // 23 // श्रुत्वा सुन्दरबाहुस्तत् कोपाटोपात्प्रवक्ष्यति / दण्डोऽयं युज्यते नास्य खामिष्वस्मासु सत्स्विह // 24 // दण्डः काष्ठमयस्तस्य जरतस्तूचितोऽधुना / द्रक्ष्यामि पौरुषं सैन्यरूपदण्डग्रहोत्सुकम् // 25 // आच्छिद्य हठतः सर्वमिदमादीयतामिति / आदेष्टा पाणिमुत्क्षिप्य भटान् शौर्योत्कटान्निजान् / / 26 / / त्रि०वि० / / असन्नद्धाः कोशलेन्द्रसुभटाः शाङ्गिणो भटैः। गदायैस्ताडयिष्यन्ते पादपाः फलिता इव // 27 // सौप्तिकैरिव ते सुप्ता इवाऽचिन्तितघातकैः / ताड्यमानाः प्रणक्ष्यन्ति प्राणत्राणाय काकवत् / / 28 // हस्त्यश्वादि ग्रहीता तत्सर्व सुन्दरबाहुकः / हठात्परश्रियं वीरा गृह्णते न परस्त्रियम् // 29 // कोशलेश्वरवीराश्च कीरा इव भयाकुलाः / वज्रजङ्घाय तत्सर्वं गत्वाऽऽख्यास्यन्ति हीनताः॥३०॥ वज्रजङ्घः प्रकुपितः कृतान्त इव संसदि / | उल्लास्य भ्रूलतां भीमां धूमोर्णामिव वक्ष्यति // 31 // प्रबोधः सुप्तसिंहस्य मृगेणेव स्वमृत्यवे / अदो मदोद्धतधिया चके सुन्दरबाहुना // 32 / / आसन्नविपदः पुंसो विपर्यत्यथवा मतिः। मुरः करं स्वशीर्षेऽदाद्यन्मायो मा हरेगिरा // 33 / / तदमुं निग्रहीष्यामि सपितृभ्रातृकं नवम् / अन्तराले मामकीनप्राभृताच्छेदनाद्रिपुम् // 34 // अथैकः सचिवो वनजङ्घ वक्ता प्रसादयन् / बालचापलतोऽकारि तेन नूनमिदं प्रभो! // 35 // तत्पितुः सम्मतं नैतद्भावि त्वद्भक्तिजीविनः। आरिराधयिषुः स त्वामद्य श्वो वा समेष्यति // 36 / / अथवा प्रथमा नीतिः सामैवेति प्रभोः ततः। मामेवादिश तं येनानये सप्राभृताग्रजम् // 37 // एवमस्त्वित्युचुपाऽथ वज्रजोन सत्व| रम् / प्रहितः सचिवो गन्ता धर्मसुन्दरयोः पुरीम् // 38 // धर्मसुन्दरबाहुभ्यां सहितं तत्र भूपतिम् / प्रेक्ष्य प्रेक्षावतां मुख्यो मत्री सा| नेति भाषिता // 39 // किमिदं तव वत्साभ्यां स्वामिनो दण्डमुत्कटम् / विस्मार्य क्षीरकण्ठाभ्यामज्ञाभ्यां विदधे मुधा // 40 // नष्टं न | किश्चिदद्यापि प्राभृतं सर्वमप्यर्पय / मया सह समेत्याशु वज्रजङ्घ प्रसादय // 41 // मा भैपीरपराधं यच्छादयिष्यति पुत्रयोः / अज्ञा 1 // 535 //
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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