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________________ *4 // 295 // धनचित्रदर्शनेन जातानुरागिणी धनवती स मकरध्वजः // 31 // वर्षाकलुषिताः पाथोनिधेः कान्ताः तरंगिणीः। प्रसादयन्ती दूतीवदऽन्यदा शरदागमत् // 32 // तत्राऽन्यदा वयस्याभिर्देवीभिरिव संयुता / साक्षाल्लक्ष्मीरिवोद्यानं द्रष्टुं धनवती ययौ // 33 // प्रविशन्त्याः श्रियो देव्याः सरसीपद्मसद्मसु / बन्दिनामिव हंसानां मधुरध्वनिबन्धुरे // 34 // सत्कवेर्वचसीवोद्यजातिसौरभ्यशालिनि / तस्मिन्नुद्याने देवीव स्वैरं विहरति स सा| | // 35 / / युग्मम् / प्रतिवृक्षं भ्रमन्ती सा द्वेधा चित्रकरं नरम् / तत्राशोकतले चित्रपट्टिकाहस्तमैक्षत // 36 // धनवत्याः सखी तस्मा| दऽकस्मात् चित्रपट्टिकाम् / अग्रहीत्कमलिन्याख्या किमत्रास्तीति कौतुकात् // 37 // रूपमप्रतिरूपं सा तत्रालोक्याऽतिविस्मिता / तमूचे रम्यमालेखि ? कस्य रूपमिदं त्वया // 38 // यद्वा सुरासुरनरेष्वेतद्रूपमसम्भवि / खबुद्ध्यैव त्वयाऽलेखि मन्ये व्यक्तुं खकौशलम् / | // 39 // त्रिजगजनतासृष्टिकष्टखिन्नस्य वेधसः। जरया जर्जरस्येदृक् रूपशिल्पं क वा भवेत् ? // 40 // कमलिन्यैवमुक्तोऽथ सित्वा चित्रकरोऽभ्यधात् / नात्र मे कौशलं किश्चिद् यथादृष्टं व्यलेखि नु // 41 // प्रति वीक्ष्य मयाऽलेखि रूपेणाप्रतिमो धनः / एषोऽच| लपुराधीशश्रीविक्रमधनात्मजः॥४२॥ यस्तं प्रत्यक्षमीक्षित्वा चित्रे चित्रेण वीक्ष्यते / चित्रकर्मणि मामज्ञमुद्भावयति स ध्रुवम् // 43 // भद्रे! त्वं तमदृष्वा तु नेत्रयोरमृताञ्जनम् / चित्रे चित्रीयसेवापि तद्रूपलवदर्शिनि // 44 // नेत्रोत्सवं मन्यमानास्तदालोकं सुराङ्गनाः। आवासं त्रिदशावासे चिन्तयन्तीव वञ्चनाम् // 45 // विनोदाय व्यलेखीदं स्वस्य दृग्मनसोर्मया / रूपं सौन्दर्यधनस्य श्रीधनस्य यथामति // 46 // धनवत्यपि पार्श्वस्था तदोषीद्ददर्श च / अवाध्यत हृदब्जे च समं स्मरशिखीमुखैः // 47 // उवाच कमलिन्येवं दृशो रेतद्रसायनम् / कुशलेन कृतं साधु चित्रं चित्रनिधे! त्वया // 48 // उक्त्वा वक्रोक्तिभंग्येति काम्यं कमलिनीवचः। अग्रतो गन्तुमा* रेमे मारेभेनेव संज्ञिता // 49 // धनवत्यपि तत्कालं धनं प्रत्यनुरागिणी / क्रीडां पीडां विचिन्त्येव कथञ्चिद् गृहमागमत् // 50 // // 295
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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