SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 114
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ से श्रीअमम जिनेशचरित्रम् / परम्परं युद्धम् // 34 // HE 9-10-1946 *E- | निर्ममे गरुडव्यहमित्थं श्रीगरुडध्वजः / दृष्टेऽपि वैरिणां यत्र दर्पसोऽपसर्पति / / 21 / / युयुत्सुर्वान्धवस्नेहादिन्द्रेण प्रेषितं तदा / नेमिभेजे सदिव्यास्त्रं रथं मातलिसारथिम् // 22 // समुद्र विजयेनाथ सेनानाथपदे कृतः / कृष्णाग्रजन्माऽनाधृष्टिः पटं बद्ध्वा महाभटः / / 23 / / | विष्णोयलेऽथ सकलेऽप्यभूजयजयपनिः / प्रतिपक्षयलक्षोभहेतुंब्रमाण्डभाण्डभित् // 24 // दन्तावलाः ख्यातबलाः सगुडाः सनिपादिनः / आरूढप्रौढहर्यक्षाः सपक्षाः क्ष्माधरा इव // 25 // सुवर्णपक्षगश्चाश्वकुञ्जराः सादिदुद्धराः / साक्षात्ताा इव स्वर्णपक्षाः स्कन्ध| स्थवत्रिणः // 26 // रथा रुद्धपथाः शबभेटैस्तूणधनूत्कटैः / पताकाभिस्तर्जनीभिस्तयन्तो धुसद्रथान् // 27 // मुक्तामुक्तैः पाणिमुक्त| यन्त्रमुक्तैरमुक्तकैः / अत्रयुक्ताः स्फुरद्रोमहर्षोच्छ्वासितकंकटाः // 28 // अवार्यशौर्यभीतेन सुर्वणकटकच्छलात् / सूरेणापि श्रिताः पाणि|पादाग्रे पत्तयोऽपि च // 29 // चेलुः परभटान् भेत्तुं व्यूहयोरुभयोरपि / आस्फुटन्तो मिथः शैलानिव वायोरिवोर्मयः ॥३०॥१०कु० // बलद्वयस्य नासीरवीर : प्रारम्भि संगरः / क्षयाब्देखि गर्जद्भिर्वर्षद्भिश्चास्वधोरणीम् // 31 // तूर्यसांराविणरश्वहेषितर्गजगर्जितः / रथ्यास्वानर्भटध्वानजज्ञे शब्दमयं जगत् // 32 // उभावभृतां दुर्भदौ सेनापत्योढयोरपि / तीक्ष्णयोरपि तौ व्यहो सुदृढौ बज्रगोलवत | // 33 // मगधेशभटैः स्वामिभन्सितैश्चित्रकैरिव / तायव्यहस्याग्रमन्यान भज्यमानान्मृगानिव // 34 // मृगयाक्त इबोद्वीक्ष्य समु| क्षिप्य कर निजम् / स्वसंकेतैः स्वयं धीरो धीरयामाम शाङ्गभृत् / / 35 / / युग्मम् / / तायपक्षद्वयीचञ्चुरूपा भूपान्वितास्ततः / उद. | तिष्ठन्महानेमिपार्थानाधृष्टयस्त्रयः // 36 // महानेमिः सिंहनादमनाष्टिबलाहकम् / अर्जुनो देवदत्तं च दध्मौ शंख महाध्वनिम् // 37 / / प्रणादैस्तूर्यकोटीनां ताडितानां च यादवैः / अनुजग्मे शंखनादो नरेन्द्र इव सेवकैः // 38 // नादस्तैः शंखतूर्याणां वीराः परबलेऽखिले। क्षयान्दगर्जितर्याद्वी चुक्षुभुनकचक्रवत् // 39 // सेनानीभिविभिन्तश्व कुर्वद्भिः शरदर्दिनम् / नेमिसन्धिस्थितान् भूपानाशु विद्राव्य | -RAEP सर्ग-१० // 394 // -*-*
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy