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________________ श्रीअमम- ऽसि त्वमागतः / तवोन्नतघनस्येव मयाऽध्वा वीक्षितश्विरम् // 93 // मयि न्यस्तं कपिलया गच्छन्त्या श्वशुरोकसि / न्यास मक्षतमादत्स्व भारमुत्तारयस्व मे // 94 // जीवितं चेत्तथाऽयास्यद् गतं चक्षुर्यथा रुजा। ममादत्तवतो न्यासं काऽभविष्यद् | // 8 // गतिस्तदा // 95 / / उक्त्वेत्यानीय च न्यासं तस्मै विप्रः समार्पयत् / मुञ्जो देहे न माति स्म न्यासलामोत्थया मृदा // 96 / / च० क. // विप्रमुत्प्रासयामास सान्तर्हासाऽथ कुट्टनी / येनाऽस्येवं शुचिासे मुक्त्वान्यांस्तन्नियुज्यसे // 97 / / सर्वगिलेन तत्रार्थे लोभा-| न्धेन प्रतिश्रुते / निरगात्तद्गृहात्प्रीता समं मुञ्जेन कुट्टनी // 98 // पेटाः कृच्छ्रान्निधाप्यान्तर्निन्हवोपायचिन्तके / विप्रे वधूर्तता दर्पाटोपेन स्फुटतीव च // 19 // विद्युल्लता पतन्तीव कम्पयन्ती भृशं मनः / सहसैव वसन्तश्रीः समुञ्जा पुनराययौ // 400 // दीर्घमुष्णं | च निःश्वस्य निःश्वस्याश्रुमुखी स्थिता / चिरादुच्चारयामास कथश्चिद् गद्गदां गिरम् // 1 // श्रेयांसि बहुविघ्नानि भवन्तीत्यनृतं न हि / यन्मे न सिद्धः पापायाः तीर्थयात्रामनोरथः // 2 // आप्रस्थानात्प्रतिपदं दुनिमित्तकरम्बिता। अभूदुःशकुनश्रेणिः प्राणसंशयशंसिनी | // 3 / / तथाप्यभङ्गुरमनाः सार्थिकैरस्मि बोधिता / अस्थानाधिनिवेशेन कुशले ! किमनेन ते // 4 // प्रशस्यते न धर्मोऽपि येनाग्रह कलङ्कितः / तत्प्रसीद निवर्चस्व पुनर्यात्रां करिष्यसि // 5 // पुरस्तदपि यान्त्या मे भग्नः सार्थजनोऽवलत् / निवर्त्य गृहमानीता ततो|ऽहमपि बन्धुभिः॥६॥ एष्यद्वर्षे करिष्यामि तीर्थोद्वाहणिकामहम् / प्रत्यय ततः पेटान्यासमाशु ममाऽधुना // 7 // कवलो मे मुखायातो गत इत्याकुलो द्विजः / आनाय्य निरुपायोऽस्याः पेटाः पंचोपनीतवान् // 8 // आदिक्षत् कुट्टनी चेटीनितिनोंल्लंध्यते खलु / पेटापञ्चकमुद्धाट्य सम्भाल्याऽऽदीयतामिति // 9 // उद्घाटितासु पेटासु दृष्ट्वाऽश्मशकलानि सा / बद्धभ्रुकुटिराटोपात्तमेवं निरभर्ल्सयत् // lalell ||10|| रे ब्रह्मबन्धो! कुचर दुरात्मन् कुलपसिन / रत्नान्यपास पेटासु पापाणान् न्यस्तवानऽसि // 11 // अन्यवद घर्षितं धौाद जिनचरित्रम् सर्वगिलं वञ्चयित्वा प्रापितानि रत्नानि मुञ्जस्य वसन्तश्रिया सर्ग-३
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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