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________________ // 69 // * दुर्मतेषूता सक्तता कुन्दकथितसाधु पार्थे धनयाचनम् // 89 // सुमतिदुर्मतिं प्रोचे सखे ! कोऽयं मतिभ्रमः / साधुभिनिन्दितं द्यूतं यदेवमभिनन्दसि // 90 // दम्भदीक्षागुरुं धर्मापमृत्यु पाप्मजीवितम् / विवेकराजयक्ष्माण को वा द्यूत निषेवते // 91 // म्लानेर्निदानमास्थानमनीतेर्दुमतेः पदम् / मूल कूलकलंकस्य त्याज्यं दूराद् दुरोदरम् // 92 // हिंसामांससुराचौर्यवेश्यान्यस्त्रणगृद्धयः। व्यसनान्यनुगच्छन्ति द्यूतं भूपमिव प्रजाः॥९३॥ न्यायः सुखं यशः स्नेहः सत्य शौचं कृपा त्रपा / ऋद्धिः श्रुतं धनं मानो दानं द्यूतकृतां कुतः // 94 // पं०कु० // द्यूतं राज्यं नृणां सिंहासनच्छत्रादिभिर्विना / इति जल्पन् सुमतिना स दुर्मतिरुपेक्षितः॥९५॥ छिन्नौष्ठकर्णनाशेन दीव्यन् द्यूतकृता सह / कुन्दाख्येनान्यदाजैपीद् द्रमपञ्चशतीमसौ // 96 // लभ्यार्थप्रार्थकं कुन्दस्तमानीय पुरावहिः / मुक्त्वा पार्श्वे श्मशानस्य मध्ये शीघ्रं वयं ययौ // 97 // तेनाऽनीय ततो द्रम्मप्रमाणे कनकेऽर्पिते / विस्मितो दुर्मतिः प्रोचे कुतः पितृवने धनम् // 98 // देवादिर्विद्यते कोऽपि वद सिद्धोऽथ | किन्तु ते / कार्यस्येपोरिवोत्पत्तिरन्वेष्यो सिंहबद् बुधैः // 99 / / कुन्दोऽभ्यधादऽसम्बद्धचिन्तया किं ? तया तव / द्रुतं गृहाण लभ्यार्थमेहि भूयो रमावहे // 200 // दुर्मतिः प्रोचिवान् पूर्ण धनेन क्रीडितेन च / शाधि पृष्टं ममावश्यं महचित्रमिहाऽस्ति यत् / / 1 / / कुन्दो जगाद यद्येवं तहिं सौम्य ! निशम्यताम् / दत्ते धनमियत् मह्य मुनिरेकः श्मशानगः // 2 // लुभ्यन् दुर्मतिरप्यूचे दर्शयनं ममापि तत् / गत्वास्याऽदर्शयत्सोऽपि कायोत्सर्गस्थितं मुनिम् // 3 // कल्पद्रुकामधुचिन्तामणिसब्रह्मचारिणः / अस्य प्रसादादाप्तेन धनेन विलसाम्यहम् // 4 // इत्युक्त्वा विरते कुन्दे तं नत्वा दुर्मतिमुनिम् / चेष्टां पश्यन् क्षणं स्थित्वा स्वस्थानं तद्युतो ययौ // 5 // अपास्ताशेषकर्त्तव्यस्ततः प्रभृति दुर्मतिः / उपासामास निस्तन्द्रो मुनिमेनमनारतम् / / 6 / / करुणाकन्दलीकन्द कुन्दस्येव प्रसीद मे / भगवन् ! धनदानेनेत्यन्वहं च व्यजिज्ञपत् // 7 // युग्मम् / / पारयित्वाऽन्यदा कायोत्सर्ग साधुस्तमब्रवीत् / साधुभ्योऽभ्यर्थ्यते भद्र ! धर्मः सर्वार्थ // 69 //
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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