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________________ श्रीअमम // 6 // जिनचरित्रम् असतीत्व निश्चये समन्तमूरि पार्श्वनन्देन गृहीता दीक्षा हृताम् / पपौ पापा सुरां स्वैरमासूत्र्यापानकोत्सवम् // 19 // क्षणात् पतन्ती घूर्णन्ती नृत्यन्ती प्रहसन्त्यपि / खिड्गलिंग्यमाना च दृष्टा ताभ्यामियं पुरः // 100 // नन्दो जगाद द्रष्टव्यं दृष्टमुत्तिष्ट गम्यते / धूर्तः प्रोवाच तिष्टावस्तावत्त्वं मोत्सुको भव // 1 / / वयस्य ! दृष्ट द्रष्टव्यं श्रोतव्यं शृणु साम्प्रतम् / सद्भावमाविःकुर्वन्ति मद्यपाः सुखमेव यत् // 2 // अत्रान्तरे त्वसौ हासं मिश्रयन्ती विटैः सह / स्वाकूतगर्भिणीमेनां मुदा मागधिकां जगौ // 3 // तथाहि-इरमन्दिरपन्नधारओ महं कंतो वणिजारओ गो। वरिसाण सयं च जीवउ मा जीवंतु घरं च आवउ // 1 // नन्दः प्रोचे त्वया सौम्य ! साधु साध्वस्मि बोधितः / धिक् स्त्रीरनार्यास्तान् वा धिक् येऽनुरज्यन्ति तास्वपि // 4 // कलीनामालयो मूल वैराणामापदां पदम् / सत्यं रक्ता विरक्ताश्च विषमेव स्त्रियो नृणाम् // 5 / / नृत्यन्ते नटवत् | स्त्रीभिर्व्यापार्यन्ते चेटवत् / विटवच्च विडम्ब्यन्ते प्रतार्यन्ते च बालवत् // 6 // ग्रथ्नन्ति नव्यनव्यानि कपटानि दिने दिने / कवयो नाटकानीव सुश्लिष्टान्येव योपितः // 7 // किश्च-दौःशील्यं चापलं क्रौर्यमकार्य वञ्चना कलिः / धाय पैशून्यमौत्सुक्यमुत्सेको वामशीलता // 8 // तुच्छता लुब्धता माया नैघृण्यमकृतज्ञता / मौखर्यमा मूर्खखं बन्धुविश्लषपाटवम् // 9 // कुपात्रकामिता कूटबुद्धिता स्नेहशून्यता / निल्लंजता परव्याप्तिप्रियता दुविनीतता // 10 // अविश्वासोऽनर्गलता पराभ्याख्या मदानृता / विश्वासघातो निबन्धदृढता दुर्दुसढता // 11 // प्रत्यायनप्रगल्भत्वं प्राकाम्यं पापसाहसम् / किं वा न प्राप्यते ? स्त्रणे दोषाणां कुत्रिकापणे // 12 // इत्युक्वोत्थाय निर्याय प्राप्तो धूर्तान्वितो बहिः / उपनिन्ये च धूर्ताय धनं धूर्तस्तु नाग्रहीत् // 13 / / विसृज्य धूर्त गत्वान्तहे निर्वास्य सुन्दरीम् / विधाय पात्रसाद्वित्ताद्यापृच्छय स्वजनानपि // 14 // स्पर्शोऽपि योषितां यत्र प्रायश्चित्ताय जायते / दर्शने प्रव्रजिष्यामि | तत्रेत्यादाय संगरम् // 15 // देशान् भ्रान्त्वा चिराल्लब्धगुरुं रुचितमात्मनः / समन्तमरिनामानं नन्दो व्रतमुपाददे ।।१६॥त्रि०वि०। 181
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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