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________________ // 39 // ललितांगेन छन्नं रक्षण गंगदत्ताभिधानं कृतम् | मातुः क्रमशः सप्तवार्षिकः // 90 // इतश्च श्रेष्ठिनी चेटीकथनान्मुमुदे तदा / जज्ञौ जनोक्त्या तं पुत्रं जीवन्तं च कथञ्चन // 91 // ||* सैषाऽगवेषयत् कुत्राऽस्तीति तं प्राग्भवद्विषम् / न चोपलेभे दक्षाऽपि श्रेष्ठ्याज्ञामुद्रिताजनात् // 92 / / तारुण्यमिव मेदिन्याः प्राप्तः शरदृतुस्तदा / तपत्यन्हांपतिर्यत्र तीव्रः काम इवाधिकम् // 93 // कौमुदी पल्वलजलं शालिरिक्षुरसः पयः / जातिः पद्मवनं हंसरखो, यत्र जगन्मुदे // 14 // यत्र क्षेत्रेषु पुंड्रेक्षुलतिकाः प्रचकाशिरे / लम्बिता इव पीयूषधाराः पीयूषरोचिषा॥९५॥ मेघबन्धननिर्मुक्तं सुत| मिन्दुमिवेक्षितुम् / यत्र द्यामागमज्ज्योत्स्नामिषात्क्षीरोदधिः पिता // 96 // दग्धा काष्टोच्चयं यत्र विद्युद्वन्हौ गते शमम् / तद्भवै-1 | भस्मभिरिव शुभ्ररभैरदीप्यत // 97 // यत्र पक्वशालिमध्यनव्योद्गतसरोजगान् / शालिगोप्यः शुकान् रोर्बु नाशकन् पाटलैः करैः // 98 // तत्र प्रमुदितैश्चक्रे पौररिन्द्रध्वजोच्छ्रयः। प्रीणितार्थिजनस्तस्य प्रारेमे च महोत्सवः // 99 // तत्र नानादिगायातान्बन्धून्भोजयितुं मुदा / लीलावती बहुविधाशनपाकं प्रचक्रमे // 200 // वीक्ष्य तं राजललितः प्रोचे श्रेष्ठिनमद्य तम् / आनेष्ये सोदरं वर्ष यन्मुधा क्षणवञ्चनात् // 1 // श्रेष्ठयूचे वत्स ! विरम, त्वन्माता यदुराशया। मा गंगदत्तमानीय घोरे मृत्योर्मुखे क्षिप ॥२॥वभाषे राजललितोअनुमतिं देहि मा स्मभः / तथा तात ! करिष्यामि यथा सुस्थं भविष्यति // 3 // श्रेष्ठिनाऽनुमतः कर्मव्यग्रायामथ मातरि / आनीय सोऽमुञ्चद् गंगदत्तं यमनिकान्तरे // 4 // स्वपृष्टस्थमदृष्टं च तमादाय दिशो भृशम् / पश्यन्नश्यन्भयात्सोऽग्रे निन्ये भोजनमण्डपम् // 5 // स तत्र प्राग्मुक्तमध्यशुषिरासन्दिकोदरे / गुरौ बन्धु न्यधाद् धूर्तो न्यषीदत्स्वान्तिके स्वयम् // 6 // श्रेष्ठी भोक्तुमुपाविक्षत्स| बन्धुः सपरिच्छदः। लीलावत्यविशेषेण सर्वेषां पर्यवेषयत् / / 7 // दूरं जनन्यां जग्मुध्यां वश्चयित्वा प्रजादृशः। पतितं पतितं स्थाले ददौ ज्यायान्कनीयसे // 8 // गंगदत्तोऽप्यवहितः पूर्वसंकेतित स्ततः। उदस्य किश्चिदासन्दी दत्तमादत्त पक्षिवत् // 9 // अत्रान्तरे* // 39 //
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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