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________________ // 3 // यत्र रात्रिषु चन्द्राश्मसुरवेश्मप्रभाभरैः / छन्ने विधौ व तु प्रेयानिति भ्राम्यति रोहिणी // 4 // कपोलमण्डले स्त्रीणां यत्रोद्यन्म-* // 29 // *णिकुण्डले / घर्षभीत्येव नोपेति कुरङ्गः सितदीधितौ // 5 / / यच्चैत्येषु ध्वजाः स्फोरैमौक्तिकद्युतिनिझरैः / अस्यन्तीव नभःप्रेखाहृतं देव नदीपयः // 6 // परस्परमनाबाधा सुखिनः सोदरा इव / धर्मार्थकामाः खेलन्ति यत्र च प्रतिमन्दिरम् // 7 // श्रीपुञ्जश्रेष्ठिमूरिभ्यो ललि-152 ताङ्गाभिधो युवा। तत्राभवच्च विभवव्यस्तकौबेरवैभवः // 8 // नरोत्तमोऽपीश्वरोऽपि ज्येष्ठः सुमनसामपि / अर्हन्तमार्चयद् भक्क्या निस्वैगुण्याय योऽद्भुतम् // 9 // राजहंस इवोदारः सारासारविचारकृत् / यो श्रान्तसेवाहेवाकं भेजे गुरुपदाम्बुजे // 10 // जीर्णचन्द नवत्तत्र जीर्णश्चन्दन इत्यभूत् / श्रेष्ठी सौरभ्यभूर्मुख्यो वणिजां भृभुजा कृतः // 11 // कालाद् वृद्धं तमुत्थाप्य ललिताङ्गं गुणाधिकम् / * * नैगमेशं नृपश्चक्रे नवं कः ? स्वामिनां स्वकः // 12 // पदच्युतश्चन्दनोऽपि नलिनोच्चयवत्ततः / मित्रांस्वत्प्रचेतोभिरप्यमित्रखमागतैः | // 13 // नीतो दौस्थ्य सेवते स्म ललिताङ्गं महेश्वरम् / प्रतिष्ठाकाम्यया दैवललितं गहनं हहा // 14 // युग्मम् // तदानीं चक्कलुण्डा साऽकामनिर्जरया मृता / चन्दनश्रेष्ठिभार्यायाश्चम्पायास्तनयाऽजनि // 15 // लीलावतीति तस्याश्च नाम कामप्रियाकृतेः। पित्राऽकारि | मनोहारिमहोत्सवपुरःसरम् // 16 // अम्भोजदृष्टेब्रह्मास्यसृष्टेरिव सहोद्भवम् / बभूव तस्याश्चातुर्यमनोहार्यवचोगुणम् // 17 // ब्राह्मी | वसुमुखी बालविदुषीत्यगमजने / प्रत्युत्पन्नमतित्वेन प्रसिद्धिं बाल्यतोऽपि सा // 18 // प्रतिपञ्चन्द्रलेखेव सुखेन ववृधेऽथ सा / दिने* |दिने नवनवाः कलयन्त्युज्वलाः कलाः॥१९।। लावण्यामृतसम्पूर्णकुचस्वर्णकमण्डलु / सा प्राप यौवनं काममहामुनितपोवनम् // 20 // | कालः करालः शिशिरोऽन्यदा ऽभूद् यत्र योषितः / व्यधुर्मुखेन्दून् शीता न् वालेपनिचोलकान् // 21 // प्रौढिंगताभिः संकोच्य लाघवं गमिताः परम् / रात्रिभिदिवसा यत्र नराः स्त्रीभिर्जिता इव // 22 // प्रतापिनोऽपि किं कुर्युगताः कालस्य वश्यताम् / सूर्य जीव महेश्वरम् / प्रतिष्ठाकाम्ययावा लीलावतीति तस्याश्च नाम वचोगुणम् // 17 // ब्राह्मी // 29 //
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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