________________ // 26 // नलस्य महारण्ये गमनं तत्र महोरगस्य | स्वरक्षणाय विज्ञप्तिः | र्भावी जामातुरपि संगमः // 63 // पद्मिनीव रवि शीतकर कुमुदिनीव च / वं नलं द्रक्ष्यसि पुनर्निजस्थाने स्थिता सुखम् // 64 // | तुभ्यं नलागमे दास्ये राज्याऽर्द्धमिति जल्पता / राज्ञा तुष्टेन विप्राय प्रामपश्चशती ददे // 65 / पुरे प्रविश्य सप्ताहं नृपः पुत्र्यागमो|त्सवम् / पुनर्जन्मोत्सवमिव चैत्यार्चाद्यैरकारयत् // 66 / / अष्टमेऽन्हि सुतामूचे सुखमेधस्व निवृता / प्रयतिष्ये तथा शीघ्रं यथात्रैष्यति | ते पतिः // 67 // सा ध्यायन्ती नलं विध्यापयन्ती विरहानलम् / धर्मक्रियाम्बुसारण्या तस्थौ तत्र समाधिना // 68 // al इतश्च हित्वा वैदर्भी तदाऽरण्ये नलो भ्रमन् / वनकक्षात् समुद्भूतमद्राक्षीद् धूममेकतः // 69 / / सपक्षः कोऽप्ययं दाहभीत्योडीन | इवाऽचलः / मध्येव्योम व्रजनित्याशशंके धूमसंचयः // 70 // ज्वालामालाकरालांगः स एवाऽभूत्क्षणान्तरे। ज्वलदौनिलोत्तालम| हावाद्धिशिखोपमः।७१॥ दुःखदावाग्निना दह्यमानं वीक्ष्यैव नैषधिम् / तदा स्फुटन्तो दावाग्नौ वंशाः खं जुहुवुः शुचा // 72 // संक्रान्तेन स्वत इव कठोरत्वेन वल्लभाः। त्यक्त्वा प्रणश्यतोऽपश्यत्साक्रन्दान् श्वापदान्नलः // 73 // कल्पान्तानाविवाशेषक्ष्माभृवंशविनाशिनि / दावानाविति शुश्राव नलस्तसिन्नरध्वनिम् // 74 // ऐक्ष्वाकक्षोणिभृवंशश्रीशेखरकृपाकर / महाबल नल त्राण दक्ष संरक्ष | मां दवात् / / 75 / / भवान् प्रत्युपकारानपेक्षो यद्यपि भानुवत् / प्रवृत्तोऽस्ति वयं विश्वोपकृतौ सुकृतकधीः // 76 / / उपकारं करिष्यामि महान्तं ते तथाऽप्यहम् / न कृतघ्नोऽस्मि दावानरस्मात्तद् रक्ष रक्ष माम् // 77 // गच्छन् शब्दानुसारेण वल्लिजालगतं नलः / महोरगं रक्ष रक्षेत्यथाऽऽर्तनादमुदक्षत // 78 // सोऽपृच्छद्विस्मितः सर्प मानुषीवाक् कथं ? तव / कथं ? जानासि मनामान्वयादि च निवेदय | // 79 // सोऽब्रवीदहं पूर्वभवेऽभूवं नरः प्रवाक् / तन्मे प्राग्जन्मसंस्काराद् भाषा स्फुरति मानुषी // 80 // अवधिज्ञानतो वेदि वंशं | ते नृप ! नाम च / तैरन्यादऽक्षमो नंष्टुं दावानेस्त्वामिहाह्वयम् // 8 // सानुकम्पः कम्पमानं तमाक्रष्टुमथोरगम् / वल्लीजालोपरि // 23 //