________________ श्रीअमम // 14 // जिनचरित्रम् दयानियम पालने नन्दकस्य श्रेष्ठिगृहे जन्म गताः // 32 // नन्दकोऽपि दयाधम ततः प्रभृति पालयन् / वृत्तिभिनिरवद्याभिः खकुटुम्बमवीवृधत् // 33 // इतश्च वसुधोत्तसो देशोऽस्ति मगधाभिधः। मूर्द्धन्यः सर्वदेशानां योऽभून्मध्यान्हभानुवत् // 34 // पुरं राजगृहं तत्र | संकेतकगृहं श्रियाम् / आस्तेऽदोषाकरत्युक्तं युक्तं हंसैश्च पद्मवत् // 35 / / तत्पशास्ति स्म शान्तारिस्ताराचन्द्रो नरेश्वरः। छायेव शौर्यसूर्यस्य यत्करेऽसिरशोभत // 36 // तस्यास्तां नगरप्रष्ठौ श्रेष्ठिनौ सुहृदौ मिथः / राज्ये मुख्यौ सर्वकार्येष्वङ्गे लोचनवच्छुची // 37 // समुद्रदत्तो नाम्नैको माणिभद्रस्तथा परः / गृहिणी रोहिणी नाम माणिभद्रस्य चाऽभवत् // 38 / / अथ तादृक्पाबद्धं नरायुः प्राप्य पञ्चताम् / स नन्दकः सुतो जज्ञे रोहिणीमाणिभद्रयोः // 39 // प्राग्जन्मप्रथमोपात्चहिंसापापोदयादयम् / अकाण्डमृतया जातमात्रो मात्रा व्ययुज्यत // 40 // अन्यदोड्डमरान्मारिदोषादाकस्मिकोदयात् / वत्सलो द्वित्रिवर्षस्य पिताप्यस्य व्यपद्यत // 41 // संचरिष्णुः कुले | तत्र मारियं यमवाप सा / न्यकरोत्तस्य तस्यान्तं दवाग्निरिव कानने // 42 // मामयं प्राग्भवेऽत्याक्षीदयासक्तः प्रियामपि / इतीव | रोपान्मारिन तमेवैकमुपासदत // 43 / / मारिवारिनिरोधाय पालीरिव वृतीय॑धुः / तद्गृहं परितः पौराः को हि मृत्योन शङ्कते ? // 44 // | तत्रोच्छन्नकुलो बालः क्षुत्तृष्णादिक्लमाकुलः / दक्षो भक्ष्यादिभिहस्तप्राप्यैः प्राणान् बभार सः // 45 // निष्ठितेषु क्रमात्तेष्वन्विष्यनिर्गमवर्तनीम् / वृत्तौ श्वभिः कृतं छिद्रमेकमैक्षिष्ट स भ्रमन् // 46 // अपाटिततनुश्चैको वृतिकण्टककोटिभिः / तत्कर्मविवरमिवा|साद्य सद्यो विनिर्ययौ // 47 // ततो निर्गत्य शिशुकः शुकः पञ्जरकादिव / चिरं रेमे समं तुल्यवयोभिः स यदृच्छया // 48 // अथ सान्ध्ये क्षणे हट्टमेकं वासाय संश्रयन् / दृष्टः समुद्रदत्तेन श्रेष्ठिना स्वाट्टवर्तिना // 49 / / दध्ये च कोऽप्ययं धूलिधूसरो मधुराकृतिः / | बालो विलोक्यते रत्नमिव रेणुकरम्बितम् // 50 // ततः परिजनोऽअच्छि कोऽयं ? कस्यात्मजोऽस्य च / दौस्थ्यं कथं वाऽजनयदनास्थां // 14 //