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________________ श्रीअमम जिनचरित्रम् // 238 // दवदन्त्या हितवच नानि * विभूतिसद्गतिर्मतिः // 95 // देहः स्नेहस्रपा पापाशंका लोकापवादभीः / क्षयामयादिव द्यूतात् क्षीयते निखिलं नृणाम् // 96 // यु०॥ तत्प्रसीद मास्म सीदः पश्चातापेन संस्मरन् / पश्चादप्यमदीयानि वचनानि महाशय ! // 97 // दूरे दुरोदरं मुंच तत्त्वं तत्त्वं विचारय / क्लेशलक्ष्यार्जितं राज्यं हा हारयसि किं मुधा // 98 // युग्मम् // तव स्वस्य चापवादं त्वत्पितुः सुकृतानि च / स्वामिन् ! रक्षितुमस्मा| भिरयेदमुपदिश्यते // 99 // अन्यथा त्वमिव खामी नास्माकं कूवरः किमु / किंतु त्वामेव प्रथमं निषधेनासि दर्शितः // 600 // यदा | स्वदुनयेन वं दुर्वातेनेव दैवतः। राज्याझंशिष्यसे तुंगात्पर्वतात्परमाणुवत् // 11 // तदा कथापि कीदृक् ते भाविनी त्वां ततो जनः / | कोऽनुवतिष्यते यस्मात्सर्वः स्वार्थेन सेवकः // 2 // प्राग्जन्मसंचितापुण्योदयायालत्वमियुषा / नलेनावमताश्चक्रुस्ते हाहाकारमुच्चकैः // 3 // आकर्ण्य पूत्कृतं तेषां बंधूनामिव दुःश्रवम् / अनिष्टाकिनी वेगात्तत्रागाद्दवदन्त्यपि // 4 // नलं प्रीत्युज्वलं प्रोचे नाथ ! व्यसनसप्तके। द्युतमेवांधकरणमिति वागन्यथा नहि // 5 // प्रातिकूल्यं श्रितं यत्त्वं स्वं नाक्षं नापि सोदरम् / दक्षोऽपि वीक्षसे दृग्भ्यां हृदयेन च सर्वथा // 6 // यच्चाभवदसम्भाव्यं निर्दाक्षिण्यत्वमास्त्वयि / तन्मन्ये कूबरेणाभिचारेण व्यभिचारितः // 7 // यच्च वं तिल|वत् स्नेहमयोऽपि खलतां श्रितः। अकस्मात्तद् ध्रुवं चित्रयंत्रेणासि निपीडितः // 8 // अधुनाऽक्षवती चित्ते चेत्तवास्ति प्रिय ! प्रिया / तथापि शृणु मे वाचमेकामेकान्तशर्मदाम् // 9 // अवश्यं कूबरस्तुभ्यं द्रोही तस्य च मंत्रतः / अथवाऽपुण्यतः सम्प्रत्यक्षः प्रत्यक्षवेरकृत् // 10 // विमृश्येति त्यज द्यूतं स्यूतं निखिलपाप्मभिः / शास्त्रनिषिद्धं राज्ञां हि लोकद्वयविघातकम् // 11 // युग्मम् // कूबरस्य सोदरस्य राज्यं दत्तं दुनोति न / बलाद् धूतच्छलादात्तमित्युक्तिदुःसहा तु मे // 12 // शस्त्रनलोजयत्पृथ्वीं कूबरस्त्वक्षलीलया / * अकीर्तिपटहस्तेऽसावाचन्द्रार्क दुनोति माम् // 13 // राज्यलक्ष्म्या वृतं देव ! कूबरं सचिवादयः। सेविष्यंते तमेकैव विपदि त्वां तु सर्ग-६ // 238 //
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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