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________________ // 231 // इव तिलकालोकभीतितः // 61 // पुष्पंधयोचयः कुर्वन् कोलाहलमनर्गलम् / पृष्टश्च हेतुमेतस्य स्थैर्य रथ्यानलः स्वयम् // 62 // कारयित्वा जवं तस्योपान्ते प्राप्तो व्यलोकयत् / भृगवेष्टितसर्वांगं कायोत्सर्गस्थितं मुनिम् // 63 // त्रिभिर्वि०॥ भ्रमरोपद्रवे तस्य विचि मार्ग परिन्वंश्चैप कारणम् / मत्तद्विपकपोलापलग्नं मदमुर्दक्षत // 64 // तेन ज्ञापितवृत्तांतः संक्रान्तकरुणारसः / आगानिषधराजोऽपि द्वावतर्क- सह युक्त del यतां ततः // 65 // मुक्तेरुत्कंठित इव क्षामो व्यक्तशिरावलिः / साधुरेष प्रतिमया स्थितोऽस्मिन् कानने ध्रुवम् // 66 // निश्चलोऽचल- मुनिदर्शने all संदेहान्मत्तेन वनहस्तिना। अपनेतुं गंडूकडूं समंतात्पर्यघृष्यत // 67 / / युग्मम् // लग्नतन्मदसौरभ्यसादरैभ्रमरैरयम् / दश्यमानः सह- पितापुत्रयो तेऽन्यैरविषय परीपहम् // 68 // नाचालीद्गजघर्षेऽपि यत्तद्धंगच्छलादहिः। स्थित्वेव कर्मभिर्मन्ये स्तुतोऽयं स्थैर्यरंजितः // 19 // ध्रुवं | * हर्षो मुन्यु पद्रव दूरी* सर्ववलिष्ठेभ्यस्तपोऽतिवलवत्तमम् / ध्यानादचालयनैनं यदिभः शैलसन्निभः // 70 / / अभूत्तदद्य सुप्रातः जातं मागे यदस्य नः / / करणम् साधोर्जगमतीर्थस्य दर्शनं पापकर्शनम् // 71 / / स्तुत्वेति नत्वा रोमांचांचितो राजा नलोऽपि च / सप्रियः सानुजश्चके तं मुनि निरुपद्रवम् // 72 // कुल० // अग्रे कृतप्रयाणश्च क्रमेण सनलो नृपः / अलंचक्रे निजपुरीं कटकेन प्रियामिव / / 73|| सुगन्धवारिभिः स्माता विलिप्तां यक्षकर्दमैः। पुष्पप्रकरभृगारां वस्त्राभरणभूषिताम् // 74 // विस्तारितगोपुराक्षीमुल्लसत्तोरणभ्रुवम् / हर्षोदस्तकेतुहस्तां किंकिणीकंकणावलिम् / / 75 // मंचश्रेणिद्वयीवलाद्रत्नमुक्तावलिश्रियम् / प्रारब्धमंगलोद्गारां गायिनी जनगीतिभिः // 76 // कोशलां * वासकसजां चिरात्प्रीणियितुं स्वयम् / राजा विधाय श्रृंगारं हस्तिस्कंधगतोऽचलत् // 77|| कुल०॥ स्वशीलनिर्जितस्येंदोव्य॒तं ज्योत्स्ना भरैरिव / दिव्यं दुकूलबसनद्वयं परिदधानया // 78 // मुखपूण्णदुपीयूषबिंदुमालानुकारिणीम् / आनाभिकंठमामुक्तां दधत्या मौक्ति- 23 // sill कावलीम् // 79 // पुष्पदंताविव जितौ निजास्यतिलकश्रिया। विभ्रत्या श्रवणन्यस्तौ मणिताडंककैतवात् // 80 // स्वमहिम्ना लघुकृत्य
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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