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________________ दवदन्ती रक्ताब्जदलपूजिता // 48 // स्निग्धश्यामरुचिस्तस्या भ्रलेखाद्वितयी बभौ / नीलपत्रद्वयी नाशावंशादिव नवोद्गता / / 49 // स्फूर्त्या॥२२५॥ क्रान्तं कुवलयं तदिमौ वेधपीडितौ / कावितीवाक्षिणी तस्याः कण्णौ प्रतिगते द्रुतम् // 50 // को प्रलंबावालम्बाविव तस्या विरेजतुः / आरोहंत्योः समं प्रौढभाग्यसौभाग्यसंपदोः // 51 // आवर्तितस्वर्णभारसौरैयाँ ससृजे विधिः / यद् दृश्यते नभोधूम्या मेरु- स्वयंवरस्तत्किटक्संचयः // 52 // सृष्टवा सृष्ट्वा सुरक्षेणं शिल्पमभ्यस्तवांस्तथा / सृष्टिकृद्भीमजासृष्टौ यथोत्कर्ष समासदत् // 53 // भाले मण्डपतिलकवत्सांगे तथा शीलगुणं दधौ / रुपं शीलविरोधीति भाषां चक्रे यथा मृषा // 54 // यौवनेनांगदेशस्य राज्ये प्राप्ते प्रमाण | वर्णनम् | ताम् / सा नीता विषयग्रामचिंतायां शेमुपीनिधिः॥५५॥ अभ्यस्यति स्म पाइगुण्यमषडक्षीणमादरात् / शंकमाना मनोऽपि खं कुलामात्यादिव स्मरात् // 56 // युग्मम् // पितरौ तां तथा / वीक्ष्य तद्विवाह व्यधित्सताम् / तत्तुल्यवरमप्राप्याऽद्यतां शख्यिताविव // 57 // एवमष्टादशवर्षा साऽभून्नतु वरो वरः // राज्ञा लेभे II ततो मंत्रिगिराऽऽरेमे स्वयंवरः // 58 // दूताऽऽहूतास्ततो भूपास्तत्रेयुः परमर्द्धयः / निषधोप्यागमत्तूर्ण नलकूबरसंयतः॥५९|| भीमोऽपि |नपतिः प्रत्यन्दम्य रम्यं विधाय च / खागतं तान्नृपानावासेषु वर्येष्वतिष्ठिपत् // 60 // बद्धोर्वीकमिंद्रनीलैर्वियतः शकलैरिख / रचित स्वस्तिकं मुक्तागणैस्तारागणैरिव // 61 / / सार्कलोकमिवादशैं रत्नस्तंभेषु कांचनैः। प्राप्तास्तोकचंद्रलोकमिव तेः स्फटिकैः कचित // 6 // मुक्तावचूलवच्छुभ्रदुकूलोल्लोचकैतवात् ।समौक्तिकोपायनेन क्षीरोदेनेव सेवितम् / / 63 / / वातांदोललोलकेतुव्याजादैर्भुजैरिव / आह्वयं| तमिवेन्द्राणीसंयुतं सुरनायकम् // 64 // धुमैः कालागुरोधुपायतं व्योमचरानपि / मंडपं कारयामास दृग्वल्लीमंडपं नवम् // 66 // का॥२२५॥ पंचभिःकु०॥ मणिसिंहासनान्वर्णस्तंभानानाध्वजव्रजान् / वर्णपात्रीतोरणांकान् प्रवणत्किकिणीगणान् // 66 // विमानानिव
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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