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________________ // 11 // नरसोज्वलैः / खेचरीणां प्रपाश्चक्रे पिपासाशान्तये दिवि // 75 // सतां मानसमाग्गै या स्थिता नहि निजैर्गुणैः / मानसस्य स्थिता मार्गे कथं ? स्यात्तत्समाऽलका // 76 // प्रांशुस्फाटिकवप्रस्य बिम्बितैः कपिशीर्षकैः / या व्योमदर्पणे धौता दन्तश्रेणीमिवेक्षते // 77 // यद्देबतागृहावन्ध्यसन्ध्यावसरभाविनाम् / आरात्रिकप्रदीपानां रेजे कजलवनभः // 78 // अपापा पिदधत्युच्चैर्नभःकुक्षिभरीरपः / चकास्ति जान्हवी यस्याः पारे परिसरं सरित् // 79 // अस्थानयमुनासङ्गभंगीमङ्गीकरोति या। मजत्पौरवधूवक्रकस्तूरीपत्रपंकिला // 8 // तस्या| मनेके कैवर्ताः कृतान्तप्रतिहस्तकाः / उपेत्य प्रत्यहं क्रूराः कुर्वते मत्स्यवन्धनम् // 81 / / अथागमत् जगत्कम्पिपृषदश्वचम्भरः / सामन्त | इव हेमन्तः स्मरराजाज्ञया तदा / / 82 // हिमग्रस्तस्वविस्तारप्रत्याहारकृतोद्यमाः बभूवुर्यत्र यामिन्यस्तेजोहीने दिनेश्वरे / / 83 // इयं मम द्विषोऽर्कस्य प्रियेतीव प्रकोपतः। हिमान्या पद्मिनी वारिदुर्गवासाप्यहन्यत॥८४॥ अलकानलकायोषित्कपोलेषु विलासिनः / कम्पयन्तस्तुषाराद्रेवायवः सर्वतो ववुः / / 85 / / नंदको नाम शीता” गंगायाः सूत्रजालिकः / सायमानायमादाय प्रतस्थे स्वगृहं प्रति // 86 // प्रैक्षिष्ट सैकतस्यैकं स देशे प्रासुके स्थितम् / अप्रावरणमूर्ध्वगं मुनिमातापनापरम् / / 87 // दध्यौ च धन्यः खल्वेष य एवं तप्यते तपः। महात्मनो मुनेरस्य चरित्रेणाऽस्मि विस्मितः / / 88|| कृतार्थ तीर्थमत्यर्थमद्य गाङ्गमिदं भुवि / अस्य जङ्गमतीर्थस्य पदपबैयदङ्कितम् / / 89 // दन्तवीणाकलाचार्याः प्रदोपेऽपि निरर्गलम् / वल्गन्ति वायवस्तत्कि ? निशीथेऽस्य भवेत्किल // 10 // हिमेन कमलमिव मुनिानिमुपेष्यति / स्वयं कोपीनशेषोऽस्मि केनाऽवच्छादयामि तत् // 91 // अस्त्येव यदिवा जालं वेष्टयाम्यमुना मुनिम् / इयता समयाकुर्याद्यामिनीमिति मे मतिः॥९२।। अथ स्वमपि रोमाञ्चजालेन परिवेष्टयन् / मुनौ न्ययोजयजालं वृत्ति पुण्यतराविव // 93 // समाधिलक्ष्मीविश्रब्धनिर्वेशपक्रमे मुनेः / विभावर्यामयत्नेन जालं जवनिकाभवत् // 94 // हृदयान्तःस्थितं शीत // 11 //
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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