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________________ श्रीअमम जिन // 202 // गजमारूढो भ्रमन्नाश्रम ऐक्षत / गौतमस्य कुलपतेरहल्यां नाम वल्लभाम् // 19 // वल्कलैरपि तां रम्यां शैवलैरिव पद्मिनीम् / स्मरातुरो * मन्यमानः स सिपवे हताशयः // 20 // तेन दुःकर्मणा तस्य भ्रष्टविद्यस्य गौतमः। पुल्लिंगमच्छिदत् पारदारिकाणां शुभं क्व नु ? // 21 // वसुदेवस्तदाकर्ण्य भीतभीतः स्वचेतसि / प्रियङ्गुसुन्दरी नोपासर्पद् दर्पः क्व तादृशाम् // 22 // बन्धुमत्या समं सुप्तः सच निद्रात्यये निशि / एकां देवीमुदक्षिष्ट कासाविति च दध्यिवान् // 23 // सा देवताऽपि किं ? वत्स ध्यायसीत्यालपन्त्यमुम् / द्वास्थेवादाय हस्ताये| निन्येऽशोकवनान्तरे // 24 // इत्याख्यच्चात्र भरते श्रीचन्दनपुरे पुरा / अमोधरेताः क्षमापालोऽभवच्चारुमतीप्रियः // 25 // कुमारश्चारुचन्द्रोऽस्याऽनंगसेनाभिधा पुनः / वारस्त्री तत्सुता कामपताकाऽसीत्सुलोचना // 26 // तस्येयुस्तापसा राज्ञो यज्ञे तेषु तु पावकः / कौशिकस्तृणबिन्दुश्चोपनिन्याते फलानि तौ // 27 // कुत इदृक् फलानीति पृष्टौ तौ भूभुजाऽऽख्यताम् / हरिवंशोत्पत्यायातकल्पद्रोमलतः कथाम् // 28 // तदा सभायां नृत्यन्त्याऽऽछा कामपताकया / अरञ्जि चारुचन्द्रस्य मानसं कौशिकस्य च // 29 // यज्ञेऽतीते युवराजस्तां स्वसादकत द्रुतम् / भूमिपालं याचते स्म तापसः कौशिकः पुनः॥३०॥ राजाऽवदत्कुमारोऽमू जगृहे श्राविकात्वतः / इयं चांगीकृते पत्यो द्वितीयं न पतीयति // 31 // एवं निषिद्धो भूपेनाऽशपत्तं कौशिकः क्रुधा / सेविष्यसे स्त्रियं चेत्वं तन्नूनं मृत्युमाप्स्यसि // 32 // पुत्राय चारुचन्द्राय राज्यं दत्वाऽथ भूपतिः / गृहीत्वा तापसी दीक्षां वनवासमशिश्रयत् // 33 // तद्राज्ञीगर्भम- | ज्ञात्वा दृढप्रेमा तमन्वगात् / कालान् व्यक्तीभवन्तं तमाख्यच्चाऽस्य भ्रमच्छिदे // 34 // तया कालेन सुषुवे ऋषिदत्ताभिधा सुता। चारणश्रमणोपास्त्या श्राद्धधर्म च साऽग्रहीत् // 35 / / उद्यौवनायां तस्यां च मातृधात्र्यो ययुर्दिवम् / राजा शिलायुधस्तत्र मृगव्येनाऽगमत्तदा // 36 / / प्रतीच्छन् स तदातिथ्यं स्मरेण विविधे शरैः / तामसेवत तद्घातान् भक्तुं लवणवत्तिवत् // 37 // तयोचेऽहमृ चरित्रम् रात्रावात्यग दुन्दोः देवताकथितेणीपुत्रपुत्री सुन्दरी कथा प्रियंगु सर्ग-५ *821 // 202 / /
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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