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________________ श्रीअमम जिन // 20 // | सेत्स्यन्ति नहि पुंसः स्त्रिया अपि // 80 // ताः सेत्स्यन्त्यऽथवा साधोरुत्तमस्य नरस्य वा / कस्यापि योगादुक्त्वेति नागेन्द्रः स्वास्पद | ययौ // 81 // कन्या तद्वंशजा विद्याः साधयन्ती हविष्णुना / उदुहे पुण्डरीकेण नाम्ना केतुमती पुरा // 82 // त्वत्प्रभावादऽहं स्वामिन्! चरित्रम् सिद्धविद्धाऽधुनाऽभवम् / कन्या तद्वंशजा बालचन्द्राख्या मां तदुद्वह // 83 / / तथा विहितवान् शौरिः पुनः प्रोचे तया वद / किं ? | कथितवृत्ता |न्ता बाल| विद्यासिद्धिदातुम्ते प्रयच्छामि महाशय ! // 8 // जगाद वृष्णिमूर्वेगवत्यै विद्याः प्रदेहि तत् / तामादाय ययौ साऽपि हृष्टा गगनवल्लभे चन्द्रा परि| // 85 // तेजोभिर्वसुदेवोऽपि वसुदेव इवापरः / तमेव जग्मिवान् पुण्यमश्रमस्तापसाश्रमम् // 86 // तदैवात्तव्रतौ स्वस्य निन्दन्तौ पौरुषं णीता ताप| नृपौ / तत्र प्राप्तौ वीक्ष्य हेतुमुद्वेगेऽपृच्छदच्छधीः // 87 // आख्यायि ताभ्यां श्रावस्त्यामेणीपुत्रोऽस्ति भूपतिः / पुत्र्याः प्रिंयगुसुन्दर्याः A सकथिते. साऽऽह्वद् भूपान् स्वयंवरे // 88 // वत्रे तेषु नचैकोऽपि तत्पुत्र्या कुपितैस्ततः / सम्भूय भूपैः पारेभे संग्रामः काममुत्कटैः / / 89 / / णीपुत्रवृएणीपुत्रेन चैकेनाप्यथ सिंहीसुतौजसा / ते सर्वेऽपि जिता नेशुम॑गनाशं दिशोदिशम् // 10 // शरण्या केप्यरण्यानी केऽप्ययुगिरि / त्तान्ते कन्दरान् / तापसत्वं श्रितौ त्वावां धिग्धिक्क्लीयौ नरावपि // 91 // श्रुत्वेति ज्ञापयामास तौ शौरिधर्ममाहर्तम् / ततः प्राबजतां पात्रे श्रावस्त्यां गमनम् बोधो योधो हि कर्मसु // 92 // श्रावस्त्यां जग्मिवान् दुन्दुरुद्याने देवतागृहम् / द्वात्रिंशदर्गलादुर्गमुखद्वारसुदैवत // 93 / / पक्षद्वारा प्रविष्टोऽसौ मूर्ती स्तत्र व्यलोकयत् / ऋपेरेकस्य गृहिणत्रिपदः सैरिभस्य च // 94 // किमेतदिति पृष्टश्च तेनैको ब्राह्मणोऽब्रवीत् / सर्ग-५ राजाऽत्रासीत् जितशत्रुस्तत्पुत्रस्तु मृगध्वजः // 95 // इभ्यश्चासीत्कामदेवः सोऽन्यदाऽगात् स्वगोकुले / अवादि दण्डकारव्येन . गोकुलाधिकृतेन च / / 96 // जघ्निरेऽस्या महिष्याः प्राक् मया पञ्च तनूद्भवाः / अयं भद्रतराकारः पुनः पष्ठोऽधुनाजनि // 97 // * // 20 // जातमात्रोऽप्ययं तारमारटस्तरलेक्षणः / भयात्सकम्पो मत्पादौ प्रणनाम मुहुर्मुहुः // 98 // ज्ञात्वा जातिस्सरममुमरक्षं कृपया ततः /
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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