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________________ // 173 // पराजये | गन्धर्वसे विधायैवं संघकार्य तपोभिः क्षीणकर्मकः / आसाद्य केवलज्ञानं मुक्ति विष्णुमुनिर्ययौ // 7 // पद्मचक्रथपि संसारोद्विग्नः सद्गुरुसन्निधौ। * प्रव्रज्य तपसा प्राप्तकेवलः सिद्धिमासदत् // 75 // यौवराज्ये मंडलित्वे वर्षपश्चशती पृथक् / षट्खण्डभरतक्षेत्रजये त्वब्दशतत्रयी॥७६॥ | अष्टादश सहस्राणि सप्तशत्यधिकानि च / वर्षाणां चक्रवर्तित्वे सहस्रास्तु दश व्रते // 77 / / त्रिंशद्वर्षसहस्राणि सर्वायुः पद्मचक्रिण: एतावदेव विष्णोरप्यनुक्तमपि बुध्यताम् / / 78|| त्रि०वि०॥ चरित्रमित्थं दशमोऽन्धवृष्णिनमुनेमहापद्मनुपाग्रजन्मनः / गन्धर्वसेनापुरतस्विविकमप्रबन्धसम्बन्धमनोहरं जगौ // 79 // शौरिरुचेऽथ गन्धर्वसेना सेनां मनोभुवः / मद्वत्काल्याणिनेयि! त्वमेतदेवोपवीणय // 80 // अथ सा साचिकावेशात् कम्पमानतनुस्तदा। अदम्भस्तम्भसंरुद्धकण्ठा खिद्यत्करांगुलिः // 81 // तत्सौभाग्यहृतवान्ता तंत्री वादयितं नहि / तद्वच्छशाक सभ्याग्रे नत्वा मेने पराजयम् / / 82 // त्रि० वि० // ख वेषान्तरितः स्रष्टा कलास्रष्टाऽसि भूचरः। | गान्धर्वस्वर्णनिर्माणपारदो नारदोऽसि वा // 83 // का नाम प्रातिभवता भवता सह नाथ मे / स्पर्द्धा वीणाग्रहादेव निःकलालापताजुषः | // 84 // उक्त्वेति कंठे साऽक्षप्सीनियाक्षेपमनास्ततः / वरमालां तदईस्य दशार्हस्य खगूहिनः / / 85 // त्रि० वि०॥ सभ्याश्चित्रीयितास्तुष्टा उपाध्यायौ च तावुभौ / प्रहर्षतुमुलं पर्षजनोऽकार्षीच सर्वतः // 86 // विसृज्य वादिनचारुदत्तः श्रेष्ठी ततोऽखिलान् / निनाय मन्दिरे स्वस्थ वसुदेवं सगौरवम् // 87 / / स तं विवाहमारिप्सुः पप्रच्छ किमु वत्स! ते / गोत्रमुद्दिश्य कन्येयमधुना सम्प्रदीयताम् ||88|| दुन्दुः स्मित्वाऽवदत्तात ! यत्तुभ्यं रोचतेतराम् / उच्चार्यतां तदेवेह गोत्रं गोत्रविभूषण ! // 89 // श्रेष्ठ्यूचे ज्ञातवानसि वत्स ! | त्वस्मितकारणम् / वणिकपुत्रीति मा पुत्रीमवमंस्थाः वचेतसा // 10 // अस्याः कथां विस्तरात् ते कथयिष्यामि मूलतः। कालान्तरे- | Hel sधुना त्वस्याऽसमयः प्रस्तुतक्षतेः // 91 // इत्युदित्वा चारुदत्तश्चारुदत्तकृतोत्सवम् / विवाहं कारयामास दुन्दुगन्धर्वसेनयोः // 12 // नया दुन्दुकण्ठे क्षिप्ता वरमाला विवाहोत्सवश्व BESHARASHNAER2463-08- 22224828 // 173 //
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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