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________________ श्रीअमम // 144 // जिनचरित्रम् परीक्षार्थ देवस्यागमनम् | मुनि मुक्त्वाऽथ कानने / मध्यपुरं प्रविवेश द्वितीयमुनिरूपभृत् // 31 // आगाद् यत्याश्रमद्वारं नन्दिषेणः क स क सः / इति ब्रुवन् भूताविष्ट इव भीषणमूर्तिकः // 32 // नन्दिषेणमुनिः षष्ठतपसः पारणे तदा / आनीय भिक्षामालोच्य गुरोर्मोक्तुं निपेदिवान् // 33 // स्थेम्ना विधाय स्वाध्यायं कृतद्वारावलोकनः / मायामुनि तमद्राक्षीत्सत्क्रियाविधितन्मनाः // 34 // उपात्तमायं कवलं करात्पात्रे | निवेश्य च ! अभ्युदस्वादिहाभ्यास्स्व यतीन्द्रेत्याललाप च // 35 // त्रिविका अवधीर्याऽभिगमनपायामतिशिसक्रियाम् / संरंभम | भिनीयेति व्याजसाधुः शशाप तम् // 36 // रे दुरात्मन् ! अनात्मज्ञ मुनिखेट निराकृते / तवोदरपिशाचस्य काऽभिग्रहकुधीरियम् // 37 // बाहुसुबाहुयतिनोर्यशस्त्वमभिलाषुकः / चकवान् करिपर्याण जाल्म वोढुमिवोद्यतः // 38 // अभिग्रहमनिर्वाह्य कथं ? भव्यो | बुभूक्षसि / भवेद्वैवधिकेष्वाखुर्न गृहीतविभीतकः // 39 / / च० क० // इत्याक्रुष्टोऽपि तेनोच्चै रुषत् सोमसर्मुनिः। न तापयितुमु ल्काग्निः समुद्राम्भः प्रगल्भते // 41 // किन्तूपकारिणमिव स्मारणादिसमुद्यतम् / तं प्रसादयितुं गत्वा समीपे चाथ सोऽवदत् // 42 // | मिथ्या मे दुष्कृतं भूयात् क्षमस्वागः क्षमानिधे!। मार्गाद् भ्रष्टमन्धमिव पथि युंक्ष्व प्रसीद माम् // 43 // दत्तोपयोगो देवोऽथ स्ववचोधूमदुर्दनैः। तच्चित्तभित्तिमऽध्यामध्यानलिप्तां व्यलोकयत् // 44 // अचिन्तयच्चाथ भावी किमहं ? गलिताश्रवः। मृर्नाऽद्रिप्रेरण इवाऽशक्यानुष्ठान उद्यतः॥४५॥ हरेः स्तुतिमतीत्यास्य तपःसत्वशमादयः। वर्तन्ते नूनमन्यूनाभिग्रहप्रत्यलात्मनः // 46 // शस्त्रीभिरिव तीक्ष्णाभिर्वाग्भिर्यद्वा हृदि क्षतम् / कृत्वा रूक्षक्रियाक्षारं क्षिप्त्वा च विघृणोम्यमुम् // 47 // विमृश्येत्यवदद्देवो रे नौवित्तिकवन्न किम् ? / प्रसाद्य जिह्वां वं प्रहां निजां युक्तोक्तिषु न्यधाः॥४८॥ भोजने वचनेऽप्येषा यस्मादुच्छंखला खला। लौल्या. त्तच्चेष्टते कष्टं येनात्मा लभतेऽधिकम् // 49 // युग्मम् // किञ्च ग्लानवैयावृत्याश्रयं कृत्वाऽधुना कथम् / प्राप्तोऽसि मान्यं चित्रं च मर्ग-४ | // 144 //
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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